Free Hindi Book Zero Se Gold Medalist In Pdf Download
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पुस्तक का संक्षिप्त विवरण:
प्रस्तावना
हर विद्यार्थी का सपना होता है कि वह अपनी क्लास के मेधावी विद्यार्थियों में शामिल हो और क्लास में टॉप करे, पर सही और व्यावहारिक मार्गदर्शन के अभाव में बहुतों का यह सपना साकार नहीं हो पाता। सफलता की सभी की अपनी-अपनी परिभाषा होती है और अलग-अलग उम्र के लोगों में भी सफलता के अपने-अपने मानदंड होते हैं, पर एक विद्यार्थी के लिए क्लास में टॉप करना या टॉपरों में अपना स्थान बनाना ही सफलता का प्रथम मानक होता है।
जो विद्यार्थी क्लास में कम नंबरों से पास होते हैं या जिनका क्लास में प्रदर्शन (Performance) अच्छा नहीं होता, जिन्हें कमजोर विद्यार्थी माना जाता है, वे अपना विद्यार्थी जीवन हीनभावना में, मेधावी विद्यार्थियों की नजरों से बचते हुए और खुद को मेधावी विद्यार्थियों से बहुत नीचा समझते हुए काट देते हैं। उनमें हीनभावना घर कर जाती है। मेधावी और अच्छे नंबरों से पास होनेवाले कई विद्यार्थी उनका मजाक भी बनाते हैं, उनकी कोई बात, चाहे वह कितनी भी सही क्यों न हो, उसे महत्त्व नहीं दिया जाता। पढ़ाई में कमजोर विद्यार्थी क्लास में अच्छे नंबर लानेवाले विद्यार्थियों से दोस्ती करने की हिम्मत भी नहीं रखते हैं और उनकी नजरों में मेधावी विद्यार्थी बड़े विशिष्ट विद्यार्थी होते हैं, जिनकी तुलना में वे अपने आपको कुछ भी नहीं समझते।
ऐसी परिस्थितियों से गुजर रहे किसी भी कमजोर विद्यार्थी को निराश होने की कोई आवश्यकता नहीं है, क्योंकि कोई भी पढ़ाई में कमजोर विद्यार्थी अपने आपकी पढ़ाई के क्षेत्र में कभी भी अव्वल बना सकता है। बस उसे मेधावी विद्यार्थियों की उन आदतों को समझना, सीखना और जीवन में उनको उत्तारना होगा, जो उन्हें मेधावी बनाते हैं। यदि आपने इन आदतों को आत्मसात् कर लिया तो फिर सफलता पाना आपकी फितरत बन जाएगी और आप केवल पढ़ाई में ही नहीं, वरन् जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में बेहद सफल इनसान बन सकेंगे।
गोल्ड मेडलिस्ट क्यों?
गोल्ड मेडलिस्ट या टॉपर बनने के लिए एक विद्यार्थी को कई प्रकार की रणनीतियाँ बनानी पड़ती हैं और समय-समय पर जरूरतों के अनुसार उन रणनीतियों में सुधार भी करना होता है। अपनी बनाई गई रणनीतियों का दृढ़ता से पालन करते हुए निर्धारित लक्ष्य को प्राप्त करना होता है। सर्वश्रेष्ठ बनने में आपके समक्ष विभिन्न प्रकार की चुनौतियाँ आती हैं, बहुत बड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना होता है। जो विद्यार्थी अपने स्कूल या कॉलेज के दिनों में सफलता को प्राप्त करते हैं, उन्हें भविष्य में, जीवन के तमाम पड़ावों, में प्रतिस्पर्धा का सामना करना और रणनीति बनाकर सफल होना अच्छी तरह आ जाता है और जब ये विद्यार्थी अपने व्यावसायिक/सार्वजानिक जीवन में उतरते हैं तो इन्हें इनके चुने हुए क्षेत्र में औरों के मुकाबले सफलता आसानी से मिल जाती है। क्योंकि चुनौतियों से निपटना, परिस्थितियों के अनुसार रणनीति बनाना, समय प्रबंधन, अधिक परिश्रम करना, जुझारूपन, कमियों को ठीक करना, गलतियों से सीख लेना, बेस्ट प्रैक्टिसेज की आत्मसात् करना इत्यादि इन्हें अच्छे से आता है। अतः टॉप करने का अर्थ केवल यह नहीं होता कि बस आप सर्वश्रेष्ठ विद्यार्थी साबित होते हैं, असल में टॉप करनेवाले विद्यार्थियों में विभिन्न प्रकार के गुण भी विकसित हो जाते हैं, जो जीवन को आत्मविश्वास और साहस से भर देते
इस कारण आपको अपने विद्यार्थी जीवन में ही अपनी विभिन्न क्षमताओं का विकास करके उन्हें साबित कर देना चाहिए। आपकी सफलता केवल आपकी ही सफलता नहीं होती है, बल्कि यह पूरे परिवार, शिक्षकों और आपके अन्य बहुत सारे शुभचिंतकों को भी गौरवान्वित महसूस कराती है।
जिस विद्यार्थी का नाम कॉलेज में गोल्ड मेडल के लिए चुना जाता है, उसके घरवालों में खुशी का ठिकाना नहीं रहता। सभी अपने-अपने दोस्तों, रिश्तेदारों और आस-पड़ोस के लोगों को खुशी-खुशी बताते हैं कि मेरी बेटी /बेटा गोल्ड मेडलिस्ट बनने जा रही रहा है।
हर साल कॉलेज से डिग्री तो सैकड़ों विद्यार्थियों को मिलती है, पर गोल्ड मेडलिस्ट केवल एक ही होता है। यह कित्तने गर्व की बात होती है। इस बात की कल्पना केवल वही कर सकता है, जो गोल्ड मेडलिस्ट बनने के सपने देखता हो।
टॉप करना कोई इतना मुश्किल काम नहीं है, जितना हम समझते हैं। असल में हमारा नजरिया ही इसे मुश्किल बनाता है। इसे हम ऐसे समझते हैं एक मजदूर दिन में कई कुंतल वजन के सामान ढोकर इधर से उधर कर देता है, पर वहीं बहुत से अन्य लोग इस काम को करने की हिम्मत नहीं जुटा पाते, क्योंकि उनके मन में पहले से ही यह काम बेहद कठिन और असंभव सा नजर आता है। परंतु यदि आप उस मजदूर से तस भार के बारे में या उसके काम के बारे में पूछेंगे तो वह यहीं कहेगा कि यह कोई अधिक मुश्किल काम नहीं है। उसके लिए यह सामान्य कार्य ही है, क्योंकि यह कार्य वह रोज करता है।
यदि आप कभी पहाड़ी क्षेत्रों की यात्रा करें तो वहाँ पर कई स्थानीय लोग खच्चरों और घोड़ों के साथ, थके हुए पर्यटकों को ऊँचाइयों पर चढ़ाने में मदद करते हैं और यह उनका व्यापार होता है। वे हर दिन उन्ही टेढ़े-मेढ़े और बेहद कठिन पहाड़ी रास्तों पर दिन में कई चक्कर लगाते हैं, कभी ऊपर तो कभी नीचे, पर जो यात्री वहाँ पहली बार जाते हैं, वे थोड़ी दूर चलने के बाद ही थक जाते हैं। यदि आप उन स्थानीय लोगों से यह बात पूछें कि.........
Details of Book :-
Particulars | Details (Size, Writer, Dialect, Pages) |
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Name of Book: | जीरो गोल्ड मेडलिस्ट | Zero Se Gold Medalist |
Author: | B.P. Singh |
Total pages: | 92 |
Language: | हिंदी | Hindi |
Size: | 1.9 ~ MB |
Download Status: | Available |

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