Free Hindi Book Mrityu Kaise Hoti Hai Phir Kya Hota Hai In Pdf Download
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पुस्तक का संक्षिप्त विवरण:
ज्ञान का अर्जन मनुष्य की सहज स्वाभाविक वृत्ति है। प्रकृति रहस्यों की अनबूझ पहेली है। इन रहस्यों को अनावृत्त करने और अबूझ प्रश्नों के उत्तर खोजने के प्रयासों की अनवरत यात्रा, जब से मनुष्य अस्तित्व में आया है, तब से आज तक चलती रही है, चलती रहेगी।
भौतिक धरातल पर विज्ञान ने अनेक शोध किए हैं, किंतु विज्ञान की प्रगति बाह्य जगत् की विकास यात्रा है। अध्यात्म के धरातल पर रहस्यों की अनुभूति जिज्ञासाओं का जागरण और समाधानों की खोज, अंतर्जगत् की यात्रा है, जो रोचक भी है, रोमांचक भी। 'कठोपनिषद्' में नचिकेता और यमराज के प्रश्नोत्तर, अजामिल की पौराणिक कथा और ऐसे ही अनेक प्रसंग इस ओर संकेत कर दिशा-निर्देशन भी करते हैं।
शरीर का जन्म, विकास संचालन और समापन, इन पर चिकित्सा विज्ञान ने बहुत खोज की है, तब भी उसके पास अनेक प्रश्नों का संपूर्ण उत्तर नहीं है। कोई अदृश्य पराशक्ति है, जो इन क्रियाओं का नियंत्रण एवं परिचालन करती है। उस पराशक्ति से साक्षात्कार केवल अध्यात्म के धरातल पर ही संभव है। जीवन क्या है? मृत्यु क्या है? ये भी कुछ ऐसे ही गूढ़ प्रश्न हैं।
श्री राजेंद्र तिवारी शोध कर रहे हैं। प्रस्तुत पुस्तक उनकी अब तक के प्रयासों से प्राप्त तथ्य और उनसे निसृत निष्कर्षों की अभिव्यक्ति है। शरीर के अंदर 'कुछ' रहता अवश्य है, जिसके बाहर जाते ही शरीर मृत हो जाता है। वह 'कुछ' क्या है? प्राणों के निष्क्रमण की प्रकिया कष्टदायी है अथवा वस्त्र बदलने की भाँति एक सहज क्रिया? अथवा क्या नए वस्त्र धारण करने की क्रिया, तुल्य होने के कारण मृत्यु आत्मा को प्रसन्नता की अनुभूति कराती है? अतः स्वागत योग्य है। मृत्यु के उपरांत नया परिवेश प्राप्त होने तक आत्मा कहाँ विचरण करती है? क्या पुनर्जन्म होता है? क्या लोक और परलोक हैं? कर्म का सिद्धांत क्या है? क्या सङ्कर्म-दुष्कर्म अर्थात् कर्म के रूप भाग्य और भविष्य की रचना करने में निर्णायक भूमिका निभाते हैं? क्या स्वर्ग और नरक हैं? यदि हैं तो कहीं और हैं अथवा इसी पृथ्वी पर?
श्री राजेंद्र तिवारी ने ऐसे अनेक प्रश्नों के उत्तर खोजने का प्रयास किया है। उनकी शोध इंगित करती है कि दुष्ट, पापी, दुराचारी, कपट व्यवहार वाले व्यक्ति के लिए मृत्यु कष्टदायी है और मृत्यु-पश्चात् उसकी जीवात्मा को सुख-शांति का आभास नहीं हो पाता है, वह भटकता है। मृत्यु के पश्चात् व्यक्ति के कर्मों का परिणाम और भोगमान ही साथ रहता है। सदाचरण व सत्कर्म करनेवाले व्यक्ति को मृत्यु से भयभीत होने की कोई आवश्यकता नहीं है, उसे मृत्यु-पश्चात् भी आनंद व सुख का अनुभव होता है। श्रीमद्भगवतगीता के दर्पण में कर्म-बंधन से मुक्ति का प्रसंग पठनीय है।
यह पुस्तक मनुष्य को सन्मार्ग पर चलकर जीवन को सार्थक बनाने की प्रेरणा देती है।
Details of Book :-
Particulars | Details (Size, Writer, Dialect, Pages) |
|---|---|
| Name of Book: | मृत्यु कैसे होती है फिर क्या होता है | Mrityu Kaise Hoti Hai Phir Kya Hota Hai |
| Author: | Rajendra Tiwari |
| Total pages: | 179 |
| Language: | हिंदी | Hindi |
| Size: | 2 ~ MB |
| Download Status: | Available |
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