कल की दुनिया - युद्ध और विज्ञान | KAL KI DUNIA - YUDDH AUR VIGYAN HINDI BOOK FREE PDF DOWNLOAD

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पुस्तक का संक्षिप्त विवरण:

युद्ध और विज्ञान अविच्छेद्य

युद्ध अभी तक किसी भी अन्तर्राष्ट्रीय विधान में अनैतिक संस्था नहीं माना गया है। जो कुछ विधान-नियम आदि बने हैं वे युद्ध को रोकने के लिए नहीं, पर उसके संचालनके लिए बने हैं। इस सम्बन्ध में दुनिया में बड़ा विवाद है, पर वस्तुस्थिति यही है। मानवजाति का इतिहास इस युद्धों संघर्षों, जीवन-कलह का इतिहास है। इसी कलह की आवश्यकता ने विज्ञान को जन्म दिया और उसका संवर्धन किया। इसीलिए हम युद्ध और विज्ञान को अलग-अलग नहीं कर सकते। वैज्ञानिक उन्नति का इतिहास इसी जीवन-कलह की प्रगति का इतिहास है। शायद इसीलिए रस्किन ने कहा कि 'विज्ञान, साहित्य और कला की युद्ध में उन्नति और शांति में पतन होता है।' रस्किन की उक्ति का पूर्वार्द्ध बिल-कुल ठीक है, उत्तरार्द्ध के सम्बन्ध में मतभेद हो सकता है, पर बह विषय हमारा नहीं है।

तो हमने देखा कि युद्ध और विज्ञान साथ साथ चलते हैं, वे अविभाज्य हैं। पिछले १५० वर्षों में विज्ञान दिन दूनी रात चौगुनी गत्ति से उन्नति करता गया और इसी आधार पर युद्ध भी तेजी से भीषणतम होते गये । पर इन सब उन्नतियों में द्वितीय महायुद्ध ने बाजी मार ली है। इस युद्ध की अवधि में विज्ञान ने कितनी भारी छलांग मारी है इसकी कल्पना जनसाधारण को बहुत मुश्किल से हो सकती है। गत ५-६ वर्ष की वैज्ञानिक उन्नति क्रांतिकारी रही है, वह मानव-जीवन में ऐसा परिवर्तन करने वाली है कि १९३९ का मानव-जीवन का प्रकार २०-२५ वर्ष के बाद हास्यास्पद मालूम होने लगेगा ।

विज्ञान की उन्नति युद्ध में मनुष्य की स्नायविक शक्ति को, उसके हाथ-पैर के व्यर्थ करती जा रही है, मस्तिष्क को प्राधान्य आता जा रहा है। या यदि हम यह कहे कि आजकल की लड़ाई फौजों में नहीं होती, दोनों युद्धरत पक्षों के वैज्ञानिकों में होती है, फौजें तो शिखंडी का काम करती हैं, तो यह अत्युक्ति न होगी । किसी ने कहा है कि युद्ध में सौ वैज्ञानिक दस लाख सैनिकों से अधिक मूल्यवान होते हैं। बात कितनी सच है !

पर हम एक बात नहीं भूल सकते। युद्ध और विज्ञान अवि-च्छेद्य अवश्य है, पर उनमें एक बहुत बड़ा फर्क है। युद्ध हमेशा ही बिनाशक होता है, आज तक किसीने युद्ध को प्रत्यक्ष रूप से संस्कृति-संवर्धक नहीं कहा (अप्रत्यक्ष रूप से है ही, क्योंकि इसी के कारण विज्ञान को और ज्ञान की उन्नति होती है।) पर विज्ञान विनाशक से अधिक विधायक रहा है। विज्ञान प्रारम्भ से स्वतंत्र रहा है और इसी स्वातंत्र्यके कारण संकृतियां उन्नत होती गयी हैं। स्वतंत्र विज्ञान जब अपनी योजनाएं बनाता है तो उसकी पुस्तक में कभी त्रिनाशक बातों की बू भी नहीं रहती। इसी युद्ध में पेनिसिलिन, मलेरिया नियंत्रण, स्वास्थ्य आदि के संवन्ध में विज्ञान ने क्या किया है इसे इसी पुस्तक में पढ़ कर पाठक समझ लेंगे कि विज्ञान विधायक क्या क्या कर सकता है। गरीबी, विनाश..........

Details of Book :-

Particulars

Details (Size, Writer, Dialect, Pages)

Name of Book:कल की दुनिया - युद्ध और विज्ञान | Kal Ki Dunia - Yuddh Aur Vigyan
Author:R. Khadilkar
Total pages:354
Language: हिंदी | Hindi
Size:25 ~ MB
Download Status:Available


Kal Ki Dunia - Yuddh Aur Vigyan written by R. Khadilkar | Ebook size 25 MB | Includes 354 Pages | Find the free PDF download link of “Kal Ki Dunia - Yuddh Aur Vigyan” below and read it right away.

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