कहत कबीर | KAHAT KABEER HINDI BOOK PDF FREE DOWNLOAD

Kahat Kabeer Hindi Book Pdf Free Download

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पुस्तक का संक्षिप्त विवरण:

कहत कबीर (Kahat Kabeer) – हरिशंकर परसाई
हिंदी में पुस्तक/रचना का विस्तृत विवरण

“कहत कबीर” प्रसिद्ध व्यंग्यकार हरिशंकर परसाई की एक अत्यंत लोकप्रिय और प्रभावशाली व्यंग्य-रचना है। यह रचना कबीर के दोहों की शैली और भाषा का सहारा लेकर समाज, राजनीति, नैतिकता और मानव स्वभाव पर तीखा तथा हास्यपूर्ण प्रहार करती है। परसाई की यह विशेषता है कि वे हँसाते हुए गहरी चोट कर जाते हैं—“कहत कबीर” इसका उत्कृष्ट उदाहरण है।

रचना का स्वरूप

यह पुस्तक/रचना परंपरागत कहानी की तरह नहीं, बल्कि कबीर की वाणी के ढंग में लिखे गए छोटे–छोटे व्यंग्यात्मक वाक्यों, टिप्पणियों और कथनों का संग्रह है। परसाई कबीर की बोली में बोलकर समकालीन समाज की विसंगतियों पर कटाक्ष करते हैं।

मुख्य विषय-वस्तु

1. सामाजिक पाखंड पर व्यंग्य

परसाई दिखाते हैं कि कैसे लोग बाहर से धार्मिक, नैतिक और सज्जन दिखते हैं, पर भीतर स्वार्थ और छल भरा होता है।
कबीर के अंदाज़ में वे कहते हैं —
“भक्त भक्ति में खोए हैं, पर आँखें पराई संपत्ति पर टिकी हैं।”

2. राजनीति की दोहरी प्रवृत्ति

नेताओं की खोखली नैतिकता, भाषणबाज़ी और जनता भावनाओं से खेलने की आदत पर तीखा व्यंग्य।
कबीर की शैली में—
“नेता का धर्म है वचन देना, निभाना तो जनता का काम है।”

3. मनुष्य की कमजोरियों पर टिप्पणी

लोभ, ईर्ष्या, लालच, छल—इन मानव दोषों को परसाई एक पंक्ति में ही उजागर कर देते हैं।
जैसे—
“मन खोखला, चेहरा भरा—यही है मनुष्य का चोला।”

4. धार्मिक कट्टरता पर कटाक्ष

धर्म के नाम पर भ्रम, ढोंग, अंधविश्वास—इन्हें भी परसाई कबीर-स्वर में उजागर करते हैं।
“मंदिर में ईश्वर ढूँढ़े, पर मन का मैल धोए बिना।”

5. हास्य के भीतर गहरी सीख

परसाई का व्यंग्य हँसाता जरूर है, पर अंदर कहीं न कहीं सोचने पर मजबूर भी करता है।

 रचना की विशेषताएँ

  • कबीर की भाषा, लय और शैली का आधुनिक प्रयोग
  • समाज की बुराइयों को हल्की हंसी में गहरे संदेश के साथ प्रस्तुत करना
  • संक्षिप्त वाक्यों में सटीक व्यंग्य
  • पढ़ने में सरल, समझने में गहरा
  • हरिशंकर परसाई के विशिष्ट व्यंग्य का उदाहरण

 पाठकों पर प्रभाव

“कहत कबीर” पढ़ते हुए पाठक को लगता है कि वह कबीर को ही सुन रहा है, पर असल में समाज का दर्पण देख रहा होता है।
यह रचना मनोरंजन + सामाजिक चेतना दोनों देती है।

Details of Book :-

Particulars

Details (Size, Writer, Dialect, Pages)

Name of Book:कहत कबीर | Kahat Kabeer
Author:Harishankar Parsai
Total pages:210
Language: हिंदी | Hindi
Size:4.6 ~ MB
Download Status:Available


Kahat Kabeer written by Harishankar Parsai | Ebook size 4.6 MB | Includes 210 Pages | Find the free PDF download link of “Kahat Kabeer” below and read it right away.

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