Free Hindi Book Kahanikar In Pdf Download
All New hindi book pdf free download, कहानीकार | Kahanikar download pdf in hindi | Unknown Books PDF| कहानीकार, Kahanikar Book PDF Download Summary & Review.
पुस्तक का संक्षिप्त विवरण:
उनका सपना - नीलम कुलश्रेष्ठ
फ़ाइल उठाकर केबिन से बाहर आ गये. हालांकि केबिन की आवाज बाहर नहीं था सकती थी फिर भी उन्हें लग रहा था, सबकी निगाहें उनके चेहरे पर चिपक कर मुस्करा उठी है.
"ओ, सॉरी !" अपने को बचाते हुए भी तेजी से आती हुई एडिक परेरा उनसे टकरा ही गयी. सारा जिस्म एक धक्के से थरथरा गया, पता नहीं किन बातों के लिए खुशी से फूलती ये ऑफिस में उड़ती-सी चलती है. मन हुया एक झाड़ पिला दें लेकिन अरने को जब्त किए वे अपनी मेज पर था गये.
"साब ! पापकी चिट्ठी." पोस्टमैन की तरफ नजर गड़ा दी लेकिन वह रोज की तरह भागे बढ़ गया. जब भी वह ग्राफिस में आता उनकी झाँखें सम्मोहित-सी उसकी पीठ से चिपकी घूमती रहती हैं. वह नीलेश के पत्र की राह देख रहे थे.
उन्होंने बुझे मन से सीमेंट की कांट्रेक्ट वाली फाइल निकाली और जल्दी-जल्दी काम करने लगे लेकिन मन फिर भी रह रहकर खौल रहा था.... यह एक्स. इ.एम. अपने आपको समझता गया है... श्राखिर मेरा बेटा भी इंजीनियर है, कोई कम तो नहीं. नीलेश तो इंजीनियरिंग में बिल्कुल नहीं जाना चाहता था. उसने कितनी बार कहा था, "पापा ! अगर कहीं अच्छी जगह एब्यार्थ नहीं हो पाया तो कहीं का नहीं रहूंगा. मेडीकल करके कम से कम प्राईवेट क्लीनिक तो खोल सकता हूं."
"बेटे इंजीनियर्स की शान ही कुछ और होती है. तू ने देखा नहीं है हमारे एक्स. ई. एन. के यहाँ सारे ऑफिस के चपरासी लगे रहते हैं. और भी बहुत-सी सुविधायें उनके पास है." वह सुविधाओं का झासा दे कर नीलेश को इंजीनियर ही बनाना चाहते थे. नित नये बदलते एक्स. ई. एन. की डाँट खा-वाकर उनका शरीर झुक आया था. मन में कहीं एक गाँठ पक गयी थी. बेटे को चाहे कुछ भी हो इंजीनियर ही बनना जन्हें बाँस के मुंह पर तमाचा मारने जैसा लगता.
नीलेश के चुने जाने के बाद वह जान बूझ कर एक मिठाई का बड़ा डिब्बा लेकर बाँस के घर पहुंचे थे. लगा था यह खबर सुनकर उनका मुह उत्तर जायेगा लेकिन जरा सी 'वैट्स गुड' कह कर वह अपने मेहमानों में व्यस्त हो गये थे और वह स्वयं अपना उत्तरा हुआ मुह लेकर गेट से बाहर निकल झाये थे.
"नीलेश का कोई लैटर आया?" परेरा उनकी फ़ाइल से कुछ नोट्स लेती हुई पूछ रही है.
"अभी तक तो नहीं आया. वैसे उसने पिछले पत्र में लिखा तो था कि उसे अपने चाचा के घर के पास ही रहने को जगह मिल जायेगी."
"फ़ाइन ! फिर तो आप बम्बई घूमने को जायेगा. मेरी आंटी को जरूर मिलिए, शीज ए वेरी नाईस लेडी !" परेरा का बचपन बम्बई में ही बोता है. इस ऊँघते से शहर में अपने को खपाने में उसे अभी भी तकलीफ होती है. हर महीने बम्बई से पार्सल मंगाकर बम्बइया चोगे बदलती रहती है. दो चोटी डाले साड़ी-लिपटी ऑफिस की और लड़कियों से अलग दिखती है. अवसर ही उसके कटे हुए बाल बॉस के कमरे में खुशबू बिखेरते रहते हैं.
"मैं सोच रहा हूं. अब मैं नौकरी छोड़ दूँ."
"क्यों ?" परेरा के कलम की नोंक होठों के कोन पर टिक जाती है, आंखें आश्चर्य से ऊपर उठ गयी हैं.......
Details of Book :-
Particulars | Details (Size, Writer, Dialect, Pages) |
|---|---|
| Name of Book: | कहानीकार | Kahanikar |
| Author: | Unknown |
| Total pages: | 117 |
| Language: | हिंदी | Hindi |
| Size: | 29 ~ MB |
| Download Status: | Available |
| हमारी वेबसाइट से जुड़ें | ||
|---|---|---|
| Whatspp चैनल | Follow Us | |
| Follow Us | ||
| Follow Us | ||
| Arattai चैनल | Follow Us | |
| Telegram | Join Our Channel | |
| Follow Us | ||
| YouTube चैनल | Subscribe Us | |
About Hindibook.in
Hindibook.In Is A Book Website Where You Can Download All Hindi Books In PDF Format.
Note : The above text is machine-typed and may contain errors, so it should not be considered part of the book. If you notice any errors, or have suggestions or complaints about this book, please inform us.
Keywords: Kahanikar Hindi Book Pdf, Hindi Book Kahanikar Pdf Download, Hindi Book Free Kahanikar, Kahanikar Hindi Book by Unknown Pdf, Kahanikar Hindi Book Pdf Free Download, Kahanikar Hindi E-book Pdf, Kahanikar Hindi Ebook Pdf Free, Kahanikar Hindi Books Pdf Free Download.

