अंगड़ाई | ANGDAI HINDI POETRY BOOK PDF DOWNLOAD

Angdai Hindi Poetry Book Pdf Download

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पुस्तक का संक्षिप्त विवरण:

राष्ट्रीय काव्य 'चर्खा-शाला' के बाद 'अँगड़ाई' के रूप में फुटकर कविताओं का संग्रह जनता के सामने आ रहा है। 'चर्खा-शाला' के पहिले और बाद की कवितायें पुस्तक में संग्रहीत हैं। 'अंगड़ाई' की अधिक कवि-तायें आगरा सेन्ट्रल जेल में लिखी गई थीं; जिन्हें जीवन-संघर्ष के कारण जनता के सम्मुख न ला सका था।

'अँगड़ाई' में राष्ट्रीय कवितायें हैं। कवि का राष्ट्रीयता से उतना ही सम्बन्ध है जितना कि साँस का समीर से, तेज का तपन से। कवि समाज का प्राणी है, अंग है। समाज की हीनावस्था की अनुभूति ही कवि की राष्ट्रीयता का कारण है। समाज की समस्यायें उसकी निज की समस्यायें हैं तभी कवि की वाणी राजनैतिक शक्ति का उद्बोधन है। सामाजिक विषमता और उससे उत्पन्न समस्याओं का चित्रण तथा हल, कवि का जीवन है। कवि जनमत तैयार करता है, विचार देता है, शक्ति देता है, कर्म-पथ की ओर चलने के लिए समाज को प्रेरित करता है, पथ प्रशस्त बनाता है। यही कवि का कर्तव्य है, देश-प्रेम है, लोक-कल्याण है।

सामाजिक वर्गी-करणसे उत्पन्न स्थितियों (राजा और प्रजा, अमीर और गरीब, शोषक और शोषित) का ही चित्रण उसका प्रिय चित्रण है, क्योंकि उसका आधार उसका अपना अनुभव है और उसीसे वह जीवन-लाभ करता है।

जैसे-जैसे सामाजिक शक्तियाँ आपस में संघर्ष करती हैं वैसे-वैसे इतिहास आगे बढ़ता जाता है और हमारे ध्येय और साधन स्पष्टतर होते जाते हैं। राष्ट्र की एक रहस्यात्मक भावमय कल्पना के स्थान पर हमें राष्ट्र के मूर्त-रूप की प्रतीति होने लगती है। संघर्ष के दौरान में विका-सोन्मुख तथा ह्रासोन्मुख शक्तियों की स्वतोव्याहत समष्टि में से उद्धंगामी शक्तियाँ निखर आती हैं और यह स्पष्ट प्रतीत होने लगता है कि एक साथ परस्पर विरोधी हितों को लेकर अधिक दूर तक आगे नहीं बढ़ा जा सकता । इनमें से विवेकपूर्वक अनुकूल हितों को ही ग्रहण करना आव श्यक है। ऐसी स्थिति में इन्हीं हितों से शक्तिशाली तथा सजीव राष्ट्र का निर्माण होता है और इन्हीं हितों के समर्थक समुदाय से राष्ट्र की जीती जागती तस्वीर बनती है।

समाज का लक्ष्य तव तक स्पष्ट नहीं कहा जा सकता जब तक उसकी प्राप्ति के साधन स्पष्ट न हों- जब तक यह स्पष्ट न हो कि उसकी प्राप्ति मुख्यतः किन वर्गों के द्वारा होगी। वस्तुतः इसी मंजिल पर राष्ट्र का सर्व संग्राहक स्वप्न वास्तविकता की ओर प्रवृत्त होता है। प्रगति-पथ पर कवि नाश और निर्माण के गीत गाता है। शोषित वर्ग को ऐतिह चक्रप्रवर्तन के योग्य बनाता है। तभी कवि की कला राष्ट्रीय-जी लिये सार्थक होती है।

'नवीन' जी के शब्दों में कला एक 'सहसा निष्क्रमणशीला, व वेगवती, अभिव्यक्तिधारा है'। कवि की कला व्यक्तिगत रागद्वेषों का अनुभूति की ही अभिव्यक्ति है, जो जीवन की उपादेयता को कलात्मक स्वरूप दे कलाकार को जीवन की अभिव्यञ्जना करने के लिये बाध्य कर देती है। कवि जन-जीवन की स्थिति को निकटतम रूप में हृदयङ्गम करना हुआ तीव्रता का अनुभव करन लगता है और जन-जीवन की अलग-अलग मंजिलों के अनेक चित्रों का अपनी कविता में समाहार करता है।

Details of Book :-

Particulars

Details (Size, Writer, Dialect, Pages)

Name of Book:अंगड़ाई | Angdai
Author:Sheel
Total pages:101
Language: हिंदी | Hindi
Size:9 ~ MB
Download Status:Available


Angdai written by Sheel | Ebook size 9 MB | Includes 101 Pages | Find the free PDF download link of “Angdai” below and read it right away.

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