Free Hindi Book Byasan Se Mukti In Pdf Download
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पुस्तक का संक्षिप्त विवरण:
मादक द्रव्यों की रोकथाम
औषधि दुर्व्यसन (Drug addiction) आधुनिक समाज की एक अति ज्वलंत समस्या है। इस समय भारत में दस लाख ब्राऊन शुगर व्यसनी (Brown sugar addict) हैं। अनुमान है कि ये संख्या इस शताब्दी के अन्त तक १५ लाख तक पहुँच जायेगी। इसने लाखों युवकों की रचनात्मक व क्रियात्मक शक्ति (constructive and creative powers) को नष्ट किया है। यह दुर्व्यसन व्यक्ति को शारीरिक, मानसिक, सामाजिक तथा आर्थिक रूप से भी नष्ट कर देता है। अनेक प्रकार से यह लाइलाज (incurable) रोगों से भी अधिक खतरनाक है। इस प्रकार के रोगों से एक व्यक्ति मर सकता है परन्तु औषधि दुर्व्यसन (Drug abuse) से व्यक्ति स्वयं तो मरता ही है व साथ-साथ मित्र व सम्बन्धियों के लिए भी कष्ट व दुःख का कारण बनता है।
मादक द्रव्यों से आनन्द की अनुभूति केवल क्षणिक ही होती है बहुत थोड़े समय में ही सब कुछ दुःख एवं पीड़ा में परिवर्तित हो जाता है। इसके बाद झूठ, ठगी, चोरी शुरू होती है। फिर अगली औषधि की खुराक की इच्छा होने लगती है। अपनी इस भूख को शान्त करने के लिए व्यक्ति अनेकों समाज व राष्ट्र विरोधी कार्य करने लगता है।
औषधि दुर्व्यसन में सबसे बड़ी दुर्भाग्य की बात यह है कि कुछ भोले-भाले व्यक्ति ज्ञान न होने के कारण इसमें फंस जाते हैं। कुछ लोग स्वार्थ के कारण उन्हें बिना बताये औषधि देते रहते हैं। इस प्रकार के अनेक षडयन्त्रों का पता लग चुका है। कुछ किस्सों में तो समाज विरोधी कार्य कराने के लिए अवयस्कों को भी औषधि दुर्व्यसनी बनाया गया।
मनोरोग चिकित्सकों के द्वारा इन औषधि व्यसनियों के विभिन्न प्रकार के इलाज के बावजूद केवल १०-२० प्रतिशत ही स्वयं को नष्ट करने वाली आदत से पूर्णतया छुटकारा पा सकते हैं। किसी न किसी कारणवश ८०-९० प्रतिशत व्यक्ति फिर से औषधि के चंगुल में फंस जाते हैं। विशेषज्ञ महसूस करते हैं कि निकट भविष्य में स्कूल जाने वाले हर बच्चे पर कम से कम एक बार औषधि लेने के लिए दबाव डाला जायेगा इसलिए औषिधियों से होने वाले नुकसान के बारे में जानकारी देना अति आवश्यक है। औषधि दुर्व्यसन की समस्या पर पूर्ण जानकारी देने के लिए "राजयोग एजूकेशन एण्ड रिसर्च फाऊण्डेशन" की मेडिकल विंग के द्वारा इस सचित्र पुस्तिका की रचना की गई है।
नशीली दवाओं की परिभाषा एवं वर्गीकरण
अमेरिकन सायकेट्रिक एसोशिएशन के मानसिक रोगों की डायग्नोस्टिक एवं स्टेटेस्टीकल मेन्युअल के (D.S.M. III) अनुसार "ऐसे द्रव्य जिनका गलत प्रयोग किया जाए तथा जिन पर निर्भरता हो। डी.एस.एम. ॥ में निर्भरता शब्द का अर्थ शारीरिक तथा मानसिक निर्भरता दोनों है। डी एस.एम. ।।। में निर्भरता केवल शारीरिक अर्थ में है तथा मादक द्रव्यों की मात्रा में वृद्धि एवं नशा न मिलने पर शारीरिक पीड़ा का होना है।"
मादक द्रव्यों को पाँच भागों में बांटा जा सकता है-
१. केनाबिस इन्डिका इस वर्ग में भांग, चरस, गांजा इत्यादि आते हैं। सही अर्थों में शारीरिक निर्भरता इनसे नहीं होती। इनके सेवन के उपरान्त व्यक्ति प्रसन्न चित्त तथा हल्का महसूस करता है। वह अपने छोटे से संसार में आनंदित रहता है। इन द्रव्यों से चित्तविभ्रम तथा अनिद्रा, बैचेनी, यादाश्त की कमी (स्मृति हास), जी मिचलाना आदि हो सकते हैं।
२. मोरफिन एवं हेरोइन (Morphine and Heroine) ये वास्तव में दर्दनाशक दवाईयां है तथा निद्रा लाने वाला प्रभाव रखती हैं। हेराइन मोरफिन से अधिक शक्तिशाली है। पैथीडीन (Pathidine) मोरफिन के समान प्रभाव डालती है। आधुनिक समय का सर्वाधिक प्रचलित नशा ब्राऊन शुगर मिलावटी हेरोइन ही है। ये सभी तीव नशीली दवायें हैं। एक बार कोई व्यक्ति यदि इनके चंगुल में फंस जाता है तो इनसे पीछा छुड़ाना बहुत कठिन होता है तथा व्यसनी अपनी इच्छा पूर्ति के लिए अपराध करने में भी नहीं हिचकता ।
३. नींद लाने वाली गोलियां धीमे तथा मध्यम प्रभाव वाले बारर्बिचुरेट तथा डायजिपाम (Valium, Calmpose) निद्रा लाने में सहायक औषधियों हैं। यद्यपि इनसे स्वाभाविक निद्रा नहीं आती। इनके इतर प्रभाव तथा परिणाम होते हैं। वेलियम विश्व की सर्वाधिक बिकने वाली तीन दवाओं में से एक है।
४. एम्फेटमाइन (Amphetamine) प्रथम तीन श्रेणियों की दवायें तन्द्रा तथा निद्रा लाती हैं जबकि एम्फेटमाइन उत्तेजक है तथा निद्रा नाश करती है इन्हें पोप पिल्स (Pop pills) भी कहते हैं। इन्हें अधिक मात्रा में प्रयोग किया जाये तो पागलपन जैसी स्थिति उत्पन्न हो सकती है।
विद्यार्थी तथा कार्यकारी लोग जिन्हें अधिक घण्टों तक जागना पड़ता है इन औषधियों का प्रयोग करते हैं तथा कुछ समय पश्चात् इनकी लत हो जाती है। एम्फेटमाइन लेने के बाद व्यक्ति आत्मविश्वासी हो जाते हैं किन्तु उसके कार्य अत्यन्त तीव्र हो जाते हैं तथा उसका मन एक बात से दूसरी बात पर अस्थिर रहता है। परिणाम स्वरूप इसके कार्य को तथा बातों को कोई समझ नहीं पाता। इसलिए परीक्षाओं के दिनों में भी एम्फेटमाइन लेनी नहीं चाहिए।
५. शराब और तम्बाकू आधुनिक समाज में यद्यपि कुछ हद तक इन पदार्थों को मान्यता मिल गई है किन्तु इन्हें भी मादक पदार्थों की श्रेणी में रखना ठीक है क्योंकि वे स्वास्थ्य के लिए अत्यन्त हानिकारक है एक बार इनके चंगुल में फंस जाने पर छुटकारा पाना बहुत कठिन है।
Details of Book :-
Particulars | Details (Size, Writer, Dialect, Pages) |
|---|---|
| Name of Book: | व्यसन से मुक्ति | Byasan Se Mukti |
| Author: | Brahma Kumaris |
| Total pages: | 35 |
| Language: | हिंदी | Hindi |
| Size: | 7.8 ~ MB |
| Download Status: | Available |
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