Free Hindi Book Sinhasan Battisi In Pdf Download
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पुस्तक का संक्षिप्त विवरण:
"सिंहासन बत्तीसी" भारत की एक अत्यंत प्रसिद्ध लोककथा-संग्रह है। यह कथाएँ राजा विक्रमादित्य और उनके न्याय, दानशीलता तथा अद्वितीय गुणों पर आधारित हैं। सिंहासन बत्तीसी एक प्रसिद्ध हिंदी लोककथा संग्रह है जिसमें 32 कथाएँ हैं जो राजा विक्रमादित्य के जीवन और उनके अद्भुत गुणों को दर्शाती हैं। यह संग्रह राजा विक्रमादित्य के न्यायप्रियता, साहस, और बुद्धिमत्ता की कहानियों से भरा हुआ है।
सिंहासन बत्तीसी की प्रमुख कहानियाँ:
- पहली पुतली - रत्नमंजरी: जन्म तथा सिंहासन प्राप्ति की कथा
- दूसरी पुतली - चित्रलेखा: विक्रम और बेताल की कथा
- तीसरी पुतली - चंद्रकला: पुरुषार्थ और भाग्य की कथा
- चौथी पुतली - कामकंदला: दानवीरता और त्याग की भावना की कथा
- पांचवीं पुतली - लीलावती: विक्रमादित्य की दानवीरता की कथा
- छठी पुतली - रविभामा: विक्रमादित्य की परीक्षा की कथा
- सातवीं पुतली - सुकेशी: विक्रमादित्य के गुणों की कथा
- आठवीं पुतली - पुष्पवती: विक्रमादित्य और काठ का घोड़ा की कथा
- नवीं पुतली - मधुमालती: विक्रमादित्य और प्रजा का हित की कथा
- दसवीं पुतली - प्रभावती: विक्रमादित्य और राजकुमारी का विवाह की कथा
सिंहासन बत्तीसी की विशेषताएं:
न्याय और सत्य: सिंहासन बत्तीसी की कहानियों में न्याय और सत्य के महत्व पर जोर दिया गया है।
दान और उदारता: विक्रमादित्य की दानवीरता और उदारता की कहानियाँ इस संग्रह में प्रमुख हैं।
ज्ञान और विद्वानों का सम्मान: सिंहासन बत्तीसी में ज्ञान और विद्वानों के सम्मान की महत्ता को दर्शाया गया है।
धैर्य और साहस: विक्रमादित्य की कहानियों में धैर्य और साहस की भावना को बढ़ावा दिया गया है ¹.
संक्षिप्त परिचय
संरचना – इसमें 32 कथाएँ (बत्तीसी = 32) आती हैं।
कहानी का आधार – कहा जाता है कि विक्रमादित्य का सिंहासन बहुत अद्भुत था। इस सिंहासन में 32 पुतलियाँ (प्रतिमाएँ) जड़ी हुई थीं।
जब कोई अन्य राजा उस सिंहासन पर बैठने की कोशिश करता, तो प्रत्येक पुतली उसे रोकती और एक-एक कर विक्रमादित्य की महानता की कथा सुनाती।
जब सारी 32 कथाएँ सुन ली जातीं, तब ही कोई योग्य राजा सिंहासन पर बैठ सकता था।
मुख्य बातें
इन कथाओं में न्यायप्रियता, दानशीलता, साहस, धर्म और नीतियों का अद्भुत चित्रण है।
हर कथा में यह संदेश मिलता है कि राजा को कैसा होना चाहिए।
लोकमान्यता है कि इसे सुनने और पढ़ने से व्यक्ति में न्यायबुद्धि, साहस और धर्मपालन की प्रेरणा जागती है।
साहित्यिक महत्व
यह कथा-संग्रह संस्कृत, प्राकृत और फिर आगे चलकर हिंदी तथा अन्य भारतीय भाषाओं में प्रचलित हुआ।
"सिंहासन बत्तीसी" लोककथा साहित्य की धरोहर मानी जाती है।
Details of Book :-
Particulars | Details (Size, Writer, Dialect, Pages) |
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Name of Book: | सिंहासन बत्तीसी | Sinhasan Battisi |
Author: | Mukesh Nadaan |
Total pages: | 48 |
Language: | हिंदी | Hindi |
Size: | 3.9 ~ MB |
Download Status: | Available |

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