Free Hindi Book Sex Ke Rang Raaz Evam Rahasya In Pdf Download
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पुस्तक का संक्षिप्त विवरण:
संवत्ली के मिलन कक्ष में पहुंचा तो कार अन्दर से बन्द था। उसने द्वार सरवानी के मधुर सपनों को सजोता हुआ वह अत्यन्त स्वस्थ-सुन्दर युवा अपनी पत्नी को प्रेम भरी वाणी में पुकारा, परन्तु कोई उत्तर नहीं मिला। पुकार-पुकार कर जब वह थक चुका तब उसकी पत्नी ने द्वार के पीछे से क्रोधित स्वर में कही, 'तुम जैसे मूर्ख के साथ मैं नहीं रह सकती। लौट जाओ और उस समय तक मेरे पास नहीं आना जब तक तुम मेरे योग्य विद्वान नहीं बन जाओ।' और वह युवक घोर निराशा से भरा हृदय लेकर वापस लौट आया। पत्नी की चुनौती उसके हृदय को चीरती हुई प्राणों तक पहुँच गयी थी। उस अशिक्षित युवक के दृढ़ निश्चय किया कि वह एक दिन इतना महान विद्वान बन कर दिखाएगा कि पत्नी उसे स्वीकार किये बिना नहीं रह सकेगी। वह रात-दिन अध्ययन, मनन और लेखन में जुट गया। और कुछ वर्षों बाद वह अपने समय का महान् कवि तथा विद्वान बन कर प्रतिष्ठित हुआ। आप भी अवश्य जानते होंगे उस महान् कवि का नाम संस्कृत साहित्य के उस महान् कवि तथा नाटककार का नाम था-कालिदास। आज उसक रचनायें भारत में ही नहीं विश्व के अनेक देशों की भाषाओं में अनुवादित या रूपान्तरित हो चुकी हैं।
किसी भी क्षेत्र के महान् पुरुष या महिला का नाम लीजिए चाहें वह विज्ञान, साहित्य, राजनीति या कला का हो उसक सफलता के पीछे काम ऊर्जा का ही चमत्कार होता है। इसीलिए अँग्रेजी में कहा जाता है- There is always a woman behind every succeseful man अर्थात् हर सफल पुरुष के पीछे हमेशा एक महिला होती है। आज नारी स्वतन्त्रता के युग में हम इसमें एक पंक्ति और जोड़ सकते हैं कि -There is always a man behind every successful woman अर्थात् हर सफल नारी के पीछे सदैव एक पुरुष होता है। संस्कृत में 'काम' को मनोज भी कहते हैं जिसका अर्थ होता है मन का ओज या मन की आन्तरिक ऊर्जा।
यह एक गहरा रहस्य है कि किस प्रकार मन का यह ओज, प्रेम की यह आन्तरिक शक्ति स्त्री या पुरुष में रूपान्तरित होकर उससे ऐसे महान् कार्य करा देती है कि संसार आश्चर्य चकित रह जाता है।
प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक फ्रॉयड व्यक्ति में विपरीत सेक्स के प्रति आकर्षण से उत्पन्न भावनात्मक ऊर्जा को लिबिडो (Libido) व कहा करते थे और उसे सबसे अधिक महत्त्वदेते थे। इसे हम व्यावहारिक भाषा में यौन सम्बन्धी इच्छाएँ और आवेग कह सकते हैं।
हमारे पूर्व आर्यों द्वारा 'काम' (Sex) और उसके देवता 'कामदेव' को सबसे अधिक पूज्य माना गया है। कामदेव के समान कोई देवता नहीं है। काम नहीं हो तो मानवजाति नष्ट हो जाये। काम से ही हमारा जन्म होता है, यह जीवन मिलता है। जीवन न हो तो सब बेकार है। भारतीय संस्कृत कोष लीलाधर शर्मा पर्वतीय द्वारा संकलित संपादित अथर्ववेद में प्रथम देवता के रूप में कामदेव को 'श्रद्धा' का और हरिवंश पुराण में लक्ष्मी का पुत्र कहा गया है। सच है व्यक्ति के ऊपर माँ लक्ष्मी की कृपा हो तभी उसे काम की सन्तुष्टि के लिए योग्य संगी या संगनी प्राप्त होती है और इसके साथ ही दोनो युवक तथा युवती में परस्पर श्रद्धा हो तभी काम (Sex) का आनन्द परमानन्द की झलक दिखाता है।
"सातिरेकमद कारणं रहस्तेन दत्तम मिलेषु रङगना.: तामिर धुपहन्तं मुखासवं सोऽपि कुलतुल्य दोहदः"
महाकवि कालिदास द्वारा रचित 19वें सर्ग में वर्णन करते हुए कवि कहता है- जल में मनोरंजन करते समय राजा, यौवन की अधिकता से पगलाई विलासी युवतियों के उरोजों (स्तनों) से टकरा कर उनके साथ हिलते कमलों से भरे जल में विविध रीतियों से सम्भोग करता है। राजा मदहोश कर देने वाली मदिरा का घूँट भर कर उन सुन्दरियों के मुँह में डाल देता है। वे सुन्दरियाँ अपने मुँह में उस मदिरा को लेकर राजा के मुँह में डाल देती है और इस तरह राजा का वकुल (एक प्रकार का पौधा, पुरानी मान्यता के अनुसार इस पौधे में कली आने के बाद इस पर मुँह में मदिरा भर कर कुल्ला करने से पौधा फलता-फूलता है) दोहद पूरा होता है।
'मेघदूत' में महाकवि कालिदास कहते है, 'अलका नगरी के यक्ष बहुत रसिया है। काम की जल्दबाजी अर्थात सम्भोग जल्दी से जल्दी करने की इच्छा के कारण वे काँपते हाथों से अपनी प्रेमिकाओं के नीवी बन्धन (कमर में पहने जाने वाले वस्त्र के नाड़े) को तोड़ देते हैं, फिर वे युवतियों के अधोवस्त्र (Undergarments) अलग कर देते हैं। तब लज्जा से सुन्दर ओठों वाली युवतियाँ घबड़ा कर रत्नदीपों के प्रकाश को बुझाने के लिए कुमकुम को मुट्ठी में भर कर उन पर फेंकती है ताकि अन्धेरा हो जाये और उनके उरोजों (स्तनों) और गुप्तांगो को उनका प्रेमी नग्न नहीं देख पाये।'
मनुष्य देह में काम का मूल केन्द्र कहाँ है इस बारे में अब विज्ञान पता लगा चुका है। लेकिन आज से कम से कम 6 या 7 हजार वर्ष पहले भी हमारे ऋषि-मुनियों को इस सम्बन्ध में ज्ञात था। इस बारे में भगवान शिव से सम्बन्धित एक पौराणिक कथा से ज्ञात होता है।
Details of Book :-
Particulars | Details (Size, Writer, Dialect, Pages) |
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Name of Book: | सेक्स के रंग, राज एवं रहस्य | Sex Ke Rang Raaz Evam Rahasya |
Author: | Surender Nath Saxena |
Total pages: | 115 |
Language: | हिंदी | Hindi |
Size: | 1.7 ~ MB |
Download Status: | Available |

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