Free Hindi Book Deewar Mein Ek Khirkee Rahati Thi In Pdf Download
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पुस्तक का संक्षिप्त विवरण:
"दीवार में एक खिड़की रहती थी" विनोद कुमार शुक्ल द्वारा लिखित एक साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित उपन्यास है। यह उपन्यास छोटे शहर के जीवन की सुंदरता और साधारणता को दर्शाता है, जिसमें एक खिड़की को कल्पना, बचाव और शांत विद्रोह के प्रतीक के रूप में उपयोग किया गया है।
Novel Description
1. कहानी का परिवेश
यह उपन्यास भारत के मध्यमवर्गीय जीवन और उसके छोटे–छोटे संघर्षों पर आधारित है। इसमें बड़े राजनीतिक या ऐतिहासिक प्रसंग नहीं हैं, बल्कि सामान्य इंसानों की रोज़मर्रा की ज़िंदगी, उनकी सोच और उनके भीतर की भावनाओं का चित्रण है।
2. मुख्य पात्र
- रघुवर प्रसाद - साधारण परिवार का व्यक्ति, जिसके जीवन की साधारण-सी इच्छाएँ भी गहरी संवेदनाओं से भरी हैं।
- सोनसी - रघुवर प्रसाद की जीवन संगिनी, जो उसके सपनों और संघर्षों में साथ निभाती है।
इन दोनों का रिश्ता, उनका संवाद और छोटे-छोटे पलों की खूबसूरती ही उपन्यास का मूल है।
3. विषय-वस्तु
दीवार यहाँ जीवन की रुकावटों, कठिनाइयों और सीमाओं का प्रतीक है।
खिड़की उम्मीद, रोशनी और आज़ादी का प्रतीक है।
लेखक ने इस प्रतीकात्मक भाषा के ज़रिए यह दिखाया है कि हर कठिन परिस्थिति में भी कोई “खिड़की” ज़रूर रहती है, जो हमें बाहर की रोशनी और नई संभावनाओं से जोड़ती है।
4. लेखन शैली
विनोद कुमार शुक्ल की भाषा बेहद काव्यात्मक, धीमी और गहन है। वे रोज़मर्रा के साधारण दृश्यों को इस तरह लिखते हैं कि वे असाधारण और सुंदर लगने लगते हैं।
उनकी शैली को अक्सर Magical Realism (जादुई यथार्थवाद) कहा जाता है-जहाँ साधारण घटनाओं में भी जादू और कल्पना की झलक मिलती है।
5. समीक्षा और महत्व
यह उपन्यास हिंदी साहित्य में एक मील का पत्थर माना जाता है।
पाठक इसे पढ़कर जीवन के बेहद साधारण पलों में छिपी हुई कविता और गहराई को महसूस करते हैं।
इसे आधुनिक हिंदी कथा-साहित्य में एक अलग और संवेदनशील आवाज़ के रूप में सराहा गया है।
सारांश (In Short)
👉 यह उपन्यास बताता है कि हर दीवार में एक खिड़की रहती है - यानी हर कठिनाई के भीतर कहीं न कहीं एक उम्मीद और रास्ता छिपा रहता है।
👉 यह साधारण जीवन, प्रेम और रिश्तों का बेहद कोमल और संवेदनशील चित्रण है।
Details of Book :-
Particulars | Details (Size, Writer, Dialect, Pages) |
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Name of Book: | दीवार में एक खिड़की रहती थी | Deewar Mein Ek Khirkee Rahati Thi |
Author: | Vinod Kumar Shukla |
Total pages: | 148 |
Language: | हिंदी | Hindi |
Size: | 1 ~ MB |
Download Status: | Available |

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