भैरव साधना | BHAIRAV SADHANA HINDI BOOK PDF FREE DOWNLOAD

Bhairav Sadhanayen Hindi Book

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पुस्तक का संक्षिप्त विवरण:

भैरव साधना पुस्तक

भैरव साधना पुस्तक वास्तव में एक चमत्कार है। इसमें भक्तों के लिए कुछ असाधारण है जो भगवान श्री भैरव के रूप पर ध्यान करते हैं। यह पुस्तक केवल शब्दों का उपयोग करके सत्य को प्रकट करती है। उदाहरण के लिए, भगवान श्री भैरव भगवान शिव का एक पहलू हैं। दूसरे शब्दों में, भैरव भगवान शिव की नृत्यात्मक अभिव्यक्ति का प्रतिनिधित्व करते हैं। 'भैरव' इस व्यक्ति के सार को संकुचित करता है, जो भव्यता और कोमल हृदय का संयोजन है। लोग 'भैरव' का नाम सुनकर क्यों कांपते हैं? ऐसा कौन सा देवता उनके मन में उभरता है, जो मोहित हो जाता है, आनंद महसूस करता है, और तुच्छ मामलों पर गुस्सा हो सकता है?

भैरव साधना पुस्तक इन प्रश्नों के उत्तर देने के लिए भी महत्वपूर्ण है। अपने प्रिय भगवान शिव की तरह, भगवान श्री भैरव केवल पूजा से अधिक की खोज करते हैं। हालांकि, वह अपने भक्तों की उपस्थिति में प्रकट होते हैं। इसलिए, भविष्य में इस साधना के गलत उपयोग को टाला जाना चाहिए। भगवान श्री भैरव का प्रकट होना एक गहन अनुभव है जो सच्ची भक्ति और आध्यात्मिक तैयारी की आवश्यकता होती है। भैरव साधना पुस्तक इस शक्तिशाली भगवान के प्रति सही तरीकों और इरादों का मार्गदर्शन करती है। यह महत्वपूर्ण है कि साधक इन प्रथाओं को सम्मान के साथ अपनाएं और इस दिव्य उपस्थिति को बुलाने के साथ आने वाली जिम्मेदारी को समझें।

भैरव के प्रत्यक्ष कलियुग में भैरव की साधना अत्यन्त महत्वपूर्ण मानी गयी है, क्योंकि इससे कार्य सिद्धि तुरन्त होती हैं, और बहुत ही कम प्रयास में भैरव के प्रत्यक्ष दर्शन हो सकते है ।

यों तो भैरव से संबंधित कई साधनाएं प्रचलित है, परन्तु एक महत्वपूर्ण और गोपनीय साधना आगे के पृष्ठों में दे रहा हूं, जिससे कि भैरव तुरन्त प्रसन्न होकर साधक को मनोवांछित वरदान देने में समर्थ हो पाते है।

यह साधना कृष्णै पक्ष की पंचमी से प्रारम्भ की जाती है, साधक किसी भी महीने में इस साधना को प्रारम्भ कर सकता है, प्रातः काल उठकर साधक पूर्ण ब्रह्मचर्य का पालन करता हुआ मन में यह विचार करे, कि मैं भैरव की साधना करने जा रहा हूं, मैं भैरव के प्रत्यक्ष दर्शन करना चाहता हूं ।

साधक पूरे साधना काल में काले वस्त्रों का ही प्रयोग करे, काली धोती और ऊपर काला कुरता पहन सकता है, साधना के बाद भी वह दूसरे रंग के वस्त्रों का प्रयोग न करे ।

यह साधना यदि जंगल में, शिवालय में, नदी तट पर या श्मशान में करे तो ज्यादा उचित रहता है, घर पर इस प्रकार की साधना का प्रयोग नहीं करना चाहिए, भैरव शीघ्र प्रसन्न होते है, तो जल्दी ही नाराज भी हो जाते हैं, अतः साधक को सावधानी के साथ इस प्रकार की साधना हाथ में लेनी चाहिए ।

जिस दिन साधना प्रारम्भ करे, उस दिन प्रातः मसूर चने, मूग और मौठ इन चारों धान्यों को बराबर मात्रा में लेकर पकावे और फिर इसके सोलह भाग कर सोलह पलास के पत्तों पर अपने सामने रख दें, प्रत्येक पत्ते पर तेल का दीपक लगावे और फिर इन सोलह पत्तों से पहले और अपने सामने भैरव की काल्पनिक मृति या भैरव का यन्त्र स्थापित करें उसकी गंध, अक्षत्, पुष्प, धूप-दीप आदि से पूजा करे ।

इसके बाद साधक हाथ में अक्षत लेकर उन्हें चारों तरफ बिखेरता हुआ आत्म रक्षा मन्त्र पढे ।

खोए बालक का पता लगाया जा सकता है

आजकल अखबारों में पढ़ने को मिलता है कि छोटी मोटो परेशानियों से त्रस्त होकर जवान लड़के या लड़कियां घर से भाग जाती है, और पीछे उनके माता-पिता बन्धु बांधव परेशान होकर उसे ढूढ़ते रहते है, पर उनका पता नहीं चलता ।

इस सम्बन्ध में टाट बाबा ने एक साधना बताई थी जो कि इस प्रकार है।

मंगलवार के दिन साधक दक्षिण दिशा की तरफ मुंह करके बैठ जाय तथा अपने चारों तरफ एक हजार दीपक लगा ले, इन दीपकों में तेल भरा हुआ हो, तथा एक व्यक्ति को नियुक्त कर दे, कि वह बराबर उन दोषकों में तेल की पूर्ति करता रहे, तेल कोई भी हो सकता है।

फिर ब्यक्ति अपने सामने उस खोये हुए बालक या व्यक्ति का फोटो रखकर निम्न मन्त्र का जप करे, यह जप चार घंटे तक बराबर होना चाहिए और इस बीच साधक को उठना नहीं चाहिये ।

मन्त्र

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इस प्रकार तीन दिन तक करना चाहिये, तीसरे दिन साधक को मन्त्र जप के बीच में ही वह खोया हुआ व्यक्ति और उसका स्थान तथा पूरा पता स्पष्ट दिखाई दे देता है, इस प्रकार तीसरे दिन यह साधना समाप्त कर उस खोये हुए बालक को वहां जाकर देखा जा सकता है।

यदि यह मन्त्र जप चौदह दिन तक किया जाय तो वह खोया हुआ व्यक्ति कुछ ही समय में स्वतः ही घर आ जाता है टाट बाबा के कथनानुसार उन्होंने इस प्रयोग को कई बार किया हैं और वे हर बार इसमे सफल रहे है।

Details of Book :-

Particulars

Details (Size, Writer, Dialect, Pages)

Name of Book:भैरव साधनायें | Bhairav Sadhanayen
Author:Narayan Dutt Shrimali
Total pages:129
Language: हिंदी | Hindi
Size:38 ~ MB
Download Status:Available


Bhairav Sadhanayen written by Narayan Dutt Shrimali | Ebook size 38 MB | Includes 129 Pages | Find the free PDF download link of “Bhairav Sadhanayen” below and read it right away.

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