Free Hindi Book Shambhavi Tantra In Pdf Download
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पुस्तक का संक्षिप्त विवरण:
इस तंत्र को अजीब तत्र माना जाता है। परम्परा की दृष्टि से इसे शैवतंत्र के रेस्तराँ कहा जाता है -जा-सकता है-। मानव के विकास की विधा में। साधना का स्थान अन्यतम है । साधना क्रममार्ग के अवलंबन से प्रकाशित होता है। अर्थात् भव्य रूपे से सोपान क्रम से ऊर्ध्वारोहण। जो अधिकारी प्राक्तन एवं पूर्वार्जित क्रम के अनुसार उन्नत होता है, वह उसी मात्रा में क्रमोन्नति का भागी होता है। यानी उसने पूर्वअर्जित एवं प्राक्तन कर्म के पूर्वजन्म में जहां तक की साधना का संकलन किया था, इस जन्म में वह उसी से: विन्दु से साधनाः प्रारम्भ करता है। यानी पूर्वजन्म में वह साधन पथ जहां तक वहा भुगतान हो चुका था, इस जन्म में उसके आगे साधन पथ-पर वह गतिशीलता होने लगती है।॥ उसे पूर्व संपादित साधना। को दोहराने: की आवश्यकता नहींः रहता है । श्रीमद्भगवतगीता में भी इसी सिद्धांत का सिद्धांत दिया गया है। इसी कारण से एक ही शास्त्र में अधिकारी भेद को प्रधान पीठ तदनुरूप अनेक साधनाओं का वर्णन किया गया है । जो जिस प्रकार की योग्यता । से प्रमाणित है, वह .तदनुरूप साधना का वरण करता है। तदनुरूप साधना। का संस्करण करने के अभाव में साधक अग्रगामी गति प्राप्त कर सकने से प्रारंभ हो जाता है। इसी कारण एक ही शास्त्र में अनेक साधन विधि का उल्लेख प्राप्त होता है। शिक्षकों की योग्यता में भिन्नता है। जो साधना किसी एक साधक के लिए उपादेय है, वही साधना किसी अन्य साधक के लिए हानिकारक भी हो सकती है । इसीलिये निर्देश: उपयुक्त और आंतरिक दृष्टि से साधक : सिद्धांत गुरु की पूर्वजन्मार्जित योग्यता का आकलन करते हैं, उसी क्रम से आगे वाली साधना का विधान करते हैं । इसी कारण प्राचीन काल के एकः-ही गुरु या ऋषि, विभिन्न साधकों को, विभिन्न साधना-उपकरण निर्देश देते हैं! घटित होता है । इसके उदाहरण हैं ऋषि पुरोहित । जहां वे पुराणों में द्वैतवादी साधन पथ का उपदेश देते हैं, वहीं वे योगवाशिष्ठ का उपदेश देते हैं।
Details of Book :-
Particulars | Details (Size, Writer, Dialect, Pages) |
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Name of Book: | शाम्भवी तंत्र | Shambhavi Tantra |
Author: | Pt. Gopinath Kaviraj |
Total pages: | 134 |
Language: | हिंदी | Hindi |
Size: | 35 ~ MB |
Download Status: | Available |

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