विकलांग श्रद्धा का दौर | VIKLANG SHRADDHA KA DAUR HINDI BOOK PDF FREE DOWNLOAD

Viklang Shraddha Ka Daur

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पुस्तक का संक्षिप्त विवरण:

विकलांग श्रद्धा का दौर – हरिशंकर परसाई

परिचय

यह व्यंग्य लेखक हरिशंकर परसाई की प्रसिद्ध रचना है। परसाई जी हिंदी साहित्य के महान व्यंग्यकार हैं जो समाज की विसंगतियों, पाखंड और अंधविश्वास पर तीखा प्रहार करते हैं।

मुख्य विषय

"विकलांग श्रद्धा का दौर" में परसाई जी आधुनिक समाज में व्याप्त अंधश्रद्धा और तर्कहीन विश्वासों पर व्यंग्य करते हैं।

प्रमुख बिंदु

विकलांग श्रद्धा का अर्थ: लेखक ने "विकलांग श्रद्धा" शब्द का प्रयोग उस श्रद्धा के लिए किया है जो विवेकहीन, अंधी और तर्करहित है। यह श्रद्धा स्वस्थ नहीं है, बल्कि समाज को पीछे ले जाने वाली है।

आधुनिक युग में अंधविश्वास: परसाई जी यह दिखाते हैं कि विज्ञान और तकनीक के इस युग में भी लोग कैसे अंधविश्वासों, टोने-टोटके, और ढोंगी बाबाओं के चक्कर में फंसे रहते हैं।

बुद्धि और विवेक का अभाव: लेखक समाज में तर्कशक्ति और विवेक की कमी पर चिंता व्यक्त करते हैं। लोग बिना सोचे-समझे किसी भी चीज़ पर विश्वास कर लेते हैं।

धार्मिक पाखंड: परसाई जी धर्म के नाम पर होने वाले पाखंड, ढोंग और शोषण को उजागर करते हैं। वे दिखाते हैं कि कैसे धर्म के नाम पर सामान्य जनता को मूर्ख बनाया जाता है।

सामाजिक समस्याएं: यह व्यंग्य समाज में व्याप्त रूढ़िवादिता, अशिक्षा और अज्ञानता पर भी प्रकाश डालता है।

व्यंग्य शैली

परसाई जी की व्यंग्य शैली तीखी, प्रभावशाली और सीधी है। वे हास्य के माध्यम से गंभीर सामाजिक मुद्दों को उठाते हैं। उनका उद्देश्य केवल हंसाना नहीं बल्कि समाज को जागृत करना है।

संदेश

इस रचना का मूल संदेश है कि सच्ची श्रद्धा वह है जो विवेक और तर्क पर आधारित हो। अंध-श्रद्धा समाज को कमजोर और पिछड़ा बनाती है। परसाई जी चाहते हैं कि लोग तार्किक सोच अपनाएं और अंधविश्वासों से मुक्त हों।

यह व्यंग्य आज भी उतना ही प्रासंगिक है क्योंकि आधुनिक समाज में अभी भी अंधश्रद्धा और पाखंड का बोलबाला है।

Details of Book :-

Particulars

Details (Size, Writer, Dialect, Pages)

Name of Book:विकलांग श्रद्धा का दौर | Viklang Shraddha Ka Daur
Author:Harishankar Parsai
Total pages:3333
Language: हिंदी | Hindi
Size:2.8 ~ MB
Download Status:Available


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