Free Hindi Book Savarkar Kalapani Aur Uske Baad In Pdf Download
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पुस्तक का संक्षिप्त विवरण:
सावरकर का नाम हमने पहली बार स्कूल में सुना था और 'वीर' सम्बोधन के साथ। काले पानी की सज़ा का विवरण किसी भी संवेदनशील व्यक्ति की आँखों में आँसू भर देने के लिए काफ़ी होता ही है। फिर इतिहास पढ़ते यह नाम बार-बार अलग-अलग सन्दर्भों में सुना। गांधी-हत्या पर कपूर आयोग की रिपोर्ट पढ़ते हुए सावरकर को प्रमुख षड्यंत्रकारी की तरह देखते मैं आहत हुआ। हृदय में मूर्तियाँ खंडित होना बेहद दर्द देता है।
इन सबके बीच एक शोधार्थी की तरह मैंने असली सावरकर को तलाशने की कोशिश की और इसके लिए सबसे मुफीद था, उन पर लिखा पढ़ने से पहले उनका लिखा पढ़ना। संयोग से न केवल आधिकारिक वेबसाइट पर उनके लिखे तमाम ग्रंथ उपलब्ध हैं बल्कि सावरकर समग्र हिन्दी में भी छपकर आ चुका है। इसके अलावा इन सबसे गुज़रते हुए उन प्रेरणाओं और यथार्थों का बोध हुआ, जिनसे प्रभावित होते विनायक दामोदर सावरकर का निर्माण हुआ था। लन्दन में रहते सावरकर का जीवन प्रेरणा का जीवन है। 1857 के महान युद्ध की विफलता के बाद के नैराश्य में 1857 का प्रथम स्वातंत्र्य संग्राम लिखना कोई बौद्धिक कार्रवाई भर नहीं थी, वह एक पराधीन राष्ट्र को उसके शौर्य का एहसास दिलाने की एक युवा की शानदार कोशिश थी। युवा सावरकर अपनी स्पष्ट साम्प्रदायिक सोच से ख़ुद लड़ने की कोशिश कर रहे थे और इसी कोशिश में वह इस निष्कर्ष पर पहुँचे थे कि अंग्रेज़ों से मुक्ति के लिए दोनों क़ौमों को साथ आना होगा। हथियार उन्हें आकर्षित करते थे और मैजिनी द्वारा दिखाई सशस्त्र संघर्ष की राह उनमें उत्तेजना भरती थी। उस उत्साह में उन्होंने अंग्रेज़ी शासन को चुनौती दी तथा उस दौर में अनेक युवाओं में यह उत्साह भरा।
फिर गिरफ़्तारी उनके सामने एक बड़ी चुनौती बनकर आई। इसी चुनौती से टकराते, लड़ते, हारते उस सावरकर का निर्माण हुआ, जिसने हिन्दुत्व लिखा। भारतीयता की परिभाषा को 'हिन्दू' की परिभाषा से प्रतिस्थापित करने की कोशिश की। कांग्रेस और गांधी को चुनौती देने की कोशिश में अपने ही रास्ते से बहुत आगे निकल गए और अन्ततः एक एकाकी जीवन जीने को विवश हुए। उनकी बौद्धिकता उस दौर के किसी नेता से कम नहीं थी। प्रसिद्धि भी मिली ही, लेकिन न तो यह गांधी या नेहरू की तरह उन्हें जननायक में बदल सकी, न सुभाष की तरह एक समझौताहीन योद्धा में न ही आंबेडकर की तरह एक अद्वितीय सामाजिक योद्धा में। उन्होंने एक जीवन में कई जीवन जिए और अक्सर असफल ही रहे।
यह किताब उन्हीं प्रेरणाओं और दुष्प्रेरणाओं तथा सफलताओं और असफलताओं के बीच विनायक दामोदर........
Details of Book :-
Particulars | Details (Size, Writer, Dialect, Pages) |
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Name of Book: | सावरकर कालापानी और उसके बाद | Savarkar Kalapani Aur Uske Baad |
Author: | Ashok Kumar Pandey |
Total pages: | 341 |
Language: | हिंदी | Hindi |
Size: | 101 ~ MB |
Download Status: | Available |

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