Free Hindi Book Aankhon Ki Chamak In Pdf Download
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पुस्तक का संक्षिप्त विवरण:
आंखों की चमक
मरिया मांटेसरी दुनिया की जानी-मानी शिक्षाविद थीं। उन्होंने 'पोस्टबाक्स' नाम का एक खिलौना बनाया था। इसमें बंद डिब्बे की हरेक सतह पर अलग-अलग आकार की एक खिड़की कटी होती है। कोई खिड़की तिकोनी होती है, तो कोई गोल। बच्चे को सही गुटके को खिड़की में पोस्ट करना होता है।
एक दिन एक पादरी स्कूल में आए। मांटेसरी उन्हें एक कोने में ले गयीं। वहां एक चार साल की लड़की पोस्टबॉक्स से खेल रही थी। वह खेल की दुनिया में एकदम खो गयी थी। आसपास बच्चे ज़ोर-ज़ोर से गाना गा रहे थे। पर वह बच्ची अपने खेल में मस्त थी। वह बाकी दुनिया से एकदम बेखबर थी। मांटेसरी ने उसे उठा कर मेज़ पर बिठा दिया। बच्ची फिर अपने खेल में रम गई। पादरी उस दिन एक बिस्किट का डिब्बा लाए थे। उन्होंने बच्चों में बिस्किट बांटे, इस बच्ची को भी दिया। बच्ची ने अनमने भाव से बिस्किट लिया। उसने झट से आयत की शक्ल वाले बिस्किट को आयताकार खिड़की में डाल दिया।
बच्चे लालच और रिश्वतों से नहीं सीखते। वह इसलिए सीखते हैं क्योंकि वह दुनिया में नये हैं और दुनिया को समझना चाहते हैं। सभी बच्चों की आंखों में उस चार वर्ष की बच्ची जैसी चमक होती है। बाद में यह चमक न जाने कहां खो जाती है?
कहानियों का जादू
मास्टर लक्ष्मीशंकर परेशान थे। बच्चे दिन भर ऊधम मचाते और उनकी कोई बात न सुनते। गुरुजी ने कहा, "चलो, हम शांति का खेल खेलेंगे। मैं कहूंगा, 'ओम' और तुम उसे दोहराना।" शांति के खेल में भी बच्चों ने कुत्ते-बिल्ली की आवाजें निकालीं। मैं क्या करूं? कैसे बच्चों के मन को जीतूं? चलो इन्हें एक कहानी सुनाता हूं, मास्टरजी ने सोचा। कहानी शुरू हुई। तीन घंटे चुटकी मारते ही बीत गए। बच्चे मुंह बाए कहानी सुनते रहे। स्कूल की छुट्टी की घंटी बज गई। परंतु बच्चों ने घर जाने का नाम ही न लिया। उन्हें कहानी में बड़ा मज़ा आया। अगले दस दिन लक्ष्मीशंकर ने बच्चों को सिर्फ कहानियां ही सुनायीं। अब बच्चे मंत्रमुग्ध होकर अपने आप गोले में बैठने लगे। कोई फालतू का शोर न करता। ग्यारहवें दिन भी बच्चों ने कहानियों की मांग की। लक्ष्मीशंकर ने कहा, "सच तो यह है, कि मेरी सारी कहानियों का खज़ाना तो तुमने पहले ही लूट लिया। पर ज़रा देखो......
Details of Book :-
Particulars | Details (Size, Writer, Dialect, Pages) |
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Name of Book: | आँखों की चमक | Aankhon Ki Chamak |
Author: | Arvind Gupta |
Total pages: | 16 |
Language: | हिंदी | Hindi |
Size: | 0.5 ~ MB |
Download Status: | Available |

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