Free Hindi Book Mano Vaigyanika Rashmiya In Pdf Download
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पुस्तक का संक्षिप्त विवरण:
मानसोपचार की नई पद्धति
संसार में मानसोपचार की अनेक प्रणालियाँ प्रचलित हैं। इनमें से कुछ रोग को बिना समझे ही चिकित्सा करने की चेष्टा करते हैं और कुछ रोग का मनोवैज्ञानिक अध्ययन करके चिकित्सा करते हैं। मानसिक चिकित्सा के क्षेत्र में सबसे बड़ी देन डा० फ्रायड की है। इनके कथनानुसार रोग के उपचार के लिए उसके प्रारम्भ के सम्पूर्ण इतिहास को जानना नितान्त आवश्यक है। बहुत से मानसिक रोग रोगी की चेतना पर उन भावात्मक घटनाओं के आते ही समास दो बाते हैं, जो रोग के कारण है। यहाँ मनोवैज्ञानिक की कुशलता इस भावात्मक घटना को चेतना के स्तर में लाने में है। इसके लिए पहिले तो रोगी को अपनी वासनाओं के प्रति दृष्टिकोण बदलना पड़ता है और दूसरे उसके शरीर और मनको आराम की अवस्था में रखकर अर्थात् उसे एक विस्तर पर लेटाकर उसके मन में वो कुछ आए, उसे चिकित्सक से तुरन्त कहने के लिए कहा जाता है।
रोग के प्रति रोगी के दृष्टिकोण को बदलने में काशी मनोविज्ञानशाला ने भगवान् बुद्ध के बताए हुए मैत्री-भाव के अभ्यास को बड़ा ही उपयोगी पाया। इस अभ्यास में चिकित्सक रोगी के प्रति सद्भाव दिलाता है और फिर रोगी से वातावरण, दूसरे व्यक्तियों तथा अपनी वासनाओं के प्रति मैत्री-माबा अभ्यास कराता है। दूसरे के प्रति की गई मैत्री-भावना का अम्यास आत्म-मैत्री के स्थापन में सहायक होता है। दूसरा अभ्यास, जो भगवान बुद्ध-द्वारा बताया गया है, वह अपने चित्त को स्वांस के आवागमन पर केन्द्रित करना है। भगवान बुद्ध ने इसे आनापानसति का अभ्यास कहा है। इससे मनुष्य के स्नायुओं का लिचाय कम हो बाता है और उसकी दबी हुई मानसिक ग्रन्थियाँ सहब ही में चेतना के स्तर पर आ जाती है। इस विषय में हमारे कुछ मौलिक अनुभवः उल्लेखनीय हैं-
आज से कुछ वर्ष पूर्व मेरे मन में मारी असन्तोष रहा करता था। मैं तर्क वादी व्यक्ति हूँ। अतएव किसी प्रकार के मत-मतान्तर और बाद मुझे सन्तोष नहीं देते थे। मैंने अपने कालेज के शिक्षक प्रो० रोनाल्ड निक्सन के मुँह से यह बात सुनी कि कैंब्रिब विश्वविद्यालय के सिनेट हाल में रक्खी हुई बुद्ध भग बानू की मूर्ति ने उनके मन में यह प्रेरणा उत्पन्न को कि वे भारतवर्ष बाएँ और वहाँ बौद्ध-धर्म का अध्ययन करके उस माय को प्राप्त करें; जिस माव को सिनेट हाल में रक्खी हुई मूर्ति अपनी शान्त मुद्रा द्वारा व्यक्त करती है। प्रो० निक्सन पहली चर्मन लड़ाई में वायुमान के अफसर थे और लड़ाई में........
Details of Book :-
Particulars | Details (Size, Writer, Dialect, Pages) |
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Name of Book: | मनो वैज्ञानिक रश्मिया | Mano Vaigyanika Rashmiya |
Author: | Laljiram Shukla |
Total pages: | 164 |
Language: | हिंदी | Hindi |
Size: | 81 ~ MB |
Download Status: | Available |

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