Free Hindi Book Kurbani In Pdf Download
All New hindi book pdf free download, क़ुरबानी | Kurbani download pdf in hindi | Priyanshi Jain Books PDF| क़ुरबानी, Kurbani Book PDF Download Summary & Review.
पुस्तक का संक्षिप्त विवरण:
दूर दूर तक जहाँ तक नज़र जाए, बस रेत ही रेत थी गर्मी का समय था, और लू के थपेड़े इस रेगिस्तान की रेत को इधर उधर उड़ा रहे थे. इतनी गर्मी में, इस जगह पर रहना मुमकिन नही था. सूरज की किरने किसी को भी दो पल में झुलसा सकती थी. उपर से मूह खोलो तो अंदर सिर्फ़ रेत ही रेत जाएगी. देखा जाए तो ऐसी जगह से किसी का कोई वास्ता नहीं होना चाहिए और ऐसी जगह सिर्फ़ सुनसान ही रहनी चाहिए. लेकिन तभी एक हेलिकॉप्टर वहाँ उतरा. उसमें से साइंटिस्ट चंद्रशेखर निकला जो अपनी सालों की मेहनत से तैयार किए गये एक रिसर्च को आज इंप्लिमेंट करने जा रहा था. क्या यह रिसर्च सक्सेसफुल होगी? यही सोच सोच कर उसकी रातों की नींद हराम हो रही थी. सर से पावं तक ढका चंद्रशेखर हेलिकॉप्टर के पंखे रुक जाने तक अंदर ही इंतेज़ार करता रहा. जब वापस माहौल लू की आवाज़ों से भर गया तो वो नीचे उतरा और सामने एक टीले के पास गया. पास पहुँचते ही टीले में से एक दरवाज़ा खुला और चंद्रशेखर अंदर चला गया.
अंदर का माहौल बाहर से एकदम उल्टा था. अंडरग्राउंड में एक छोटा सा गांव बसा हुआ था. करीब ५० साइंटिस्ट्स होंगे. कुछ कंप्यूटर पे काम कर रहे थे और कुछ टेंशन में इधर उधर घूम रहे थे. चंद्रशेखर के अंदर घुसते ही माहौल में थोड़ा जोश आ गया. सबकी नज़रें चंद्रशेखर पर गढ़ गयीं और सब खड़े हो गये जैसे मानो हिटलर आया हो.
"एवेरिबडी टू दा कान्फरेन्स रूम " चंद्रशेखर ने चलते चलते बोला तो सब कान्फरेन्स रूम में चले गये. पहले से ही कुछ लोग वहाँ इंतेज़ार कर रहे थे. कुल मिला के ७५ लोग थे. चंद्रशेखर के घुसते ही कान्फरेन्स रूम में सन्नाटा छा गया. सब लोगों ने अपनी अपनी कुर्सियाँ संभाली और चंद्रशेखर चढ़ गया पोडियम पे.
"सब लोग जो यहाँ आज इकट्ठा हुए हैं, मैं उनको तहे दिल से शुक्रिया अदा करता हूँ. आज का दिन इस देश के लिए ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक इंपॉर्टेट दिन है. जितने लोग आज यहाँ इकठ्ठा हुए हैं, वो आज हिस्टरी बनते हुए देखेंगे" सारा हॉल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा. जब तालियाँ थमी, तो चंद्रशेखर आगे शुरू हुआ, "जैसा कि आप सब जानते हैं, हम लोग कई सालों से दूसरे ग्रहों पे जीवन खोज रहे हैं. ब्रह्मांड इतना बड़ा है कि हमे यकीन है कि ऐसे हज़ारों तारे होंगे जहाँ पे पथ्वी जैसा वातावरण होगा और जीवन पनप रहा होगा. हम उनसे काँटॅक्ट करने की कब से कोशिश कर रहे थे. हमे पता था कि कभी ना कभी तो काँटॅक्ट होगा, लेकिन कब होगा, यह किसी को पता नहीं था. ८ साल पहले हमारा काँटॅक्ट हुआ और जो इन्फर्मेशन हमे मिली, वो सच में हिलाने वाली थी"।
Details of Book :-
Particulars | Details (Size, Writer, Dialect, Pages) |
|---|---|
| Name of Book: | क़ुरबानी | Kurbani |
| Author: | Priyanshi Jain |
| Total pages: | 190 |
| Language: | हिंदी | Hindi |
| Size: | 2.1 ~ MB |
| Download Status: | Available |
| हमारी वेबसाइट से जुड़ें | ||
|---|---|---|
| Whatspp चैनल | Follow Us | |
| Follow Us | ||
| Follow Us | ||
| Telegram | Join Our Channel | |
| Follow Us | ||
| YouTube चैनल | Subscribe Us | |
About Hindibook.in
Hindibook.In Is A Book Website Where You Can Download All Hindi Books In PDF Format.
Note : The above text is machine-typed and may contain errors, so it should not be considered part of the book. If you notice any errors, or have suggestions or complaints about this book, please inform us.
Keywords: Kurbani Hindi Book Pdf, Hindi Book Kurbani Pdf Download, Hindi Book Free Kurbani, Kurbani Hindi Book by Priyanshi Jain Pdf, Kurbani Hindi Book Pdf Free Download, Kurbani Hindi E-book Pdf, Kurbani Hindi Ebook Pdf Free, Kurbani Hindi Books Pdf Free Download.

