Free Hindi Book Shivanand Aatmkatha In Pdf Download
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पुस्तक का संक्षिप्त विवरण:
मात्र इस पुण्य भूमि में जहाँ मनुष्य मोक्ष प्राप्ति के लिए प्रयत्न कर सकता है और जहाँ देव गण भी जन्म लेने की कामना करते हैं तथा आत्यन्तिक मोक्ष के लिए उन्हें जन्म लेना पड़ता है, समय-समय पर अति-दुर्लभमहान् आत्माओं का अवतरण हुआ करता है जिनके जीवन का एकमेव उद्देश्य चतुर्दिक प्रेम, ज्योति, आनन्द तथा करुणा को प्रसारित करना, दीनों एवं असहायों की सेवा करना, परित्यक्त एवं दुखियों को सान्त्वना देना, अज्ञानियों का उत्थान करना तथा लोगों में आध्यात्मिक ज्ञान का प्रचार करके सन्तृप्त मानव जाति के लिए विशुद्ध सुख की सर्जना करना होता है। विभिन्न युगों तथा विभिन्न देशों में ऐसे सन्त, ऋषि, अर्हत तथा बुद्ध, फकीर तथा भागवत, स्वामी तथा योगी लोगों ने इस पृथ्वी को विभूषित किया है। भगवद्गीता (६/४१.४२) कहती है-"पुण्य लोकों को प्राप्त कर अथवा वहाँ पर चिरकाल तक निवास कर, योग से च्युत हुआ व्यक्ति पुनः पुण्यवानों तथा ज्ञानी योगियों के घर में जन्म धारण करता है, परन्तु ऐसा जन्म तो इस संसार में अति-दुर्लभ है।"
ऐसे ही व्यक्तियों में अप्पय दीक्षितार भी थे। ऐसे महान् सन्त के कुल में जन्म लेने का सौभाग्य मुझको प्राप्त हुआ। उत्तर आरकॉट जिले के अरणी के निकट अदैपालम में अप्पय दीक्षितार का जन्म हुआ था।
उनकी विशाल प्रतिभा
श्री अप्पय दीक्षितार, जिनका नाम दक्षिण भारत के सबसे महान् नामों में गिना जाता है, संस्कृत भाषा में १०४ ग्रन्थों के प्रसिद्ध लेखक थे। इन ग्रन्थों में उन्होंने ज्ञान के विभिन्न विषयों का प्रतिपादन किया है। वेदान्त-विषयक उनके ग्रन्थों से उनका प्रकाण्ड पाण्डित्य स्पष्ट झलकता है। वेदान्त के सारे दार्शनिक मतवादियों ने उनकी अद्वितीय एवं अनुपम पुस्तकों से प्रेरणा प्राप्त की है। उनके वेदान्त-ग्रन्थों में 'चतुर्मत सार-संग्रह' विख्यात है जिसमें उन्होंने विशिष्टाद्वैत, द्वैत, शैव तथा अद्वैत मतों की समीक्षात्मक व्याख्या की है जो क्रमश न्यायमुक्तावली', न्यायमयूखमल्लिका, नयमणिमाला' तथा 'नयमंजरी' नाम से प्रकाशित हुए थे जिनका संग्रह ही 'चतुर्मत सार-संग्रह' है।
संस्कृत-साहित्य के प्रायः सभी क्षेत्रों में-साहित्य, कविता, अलंकार, दर्शन में-वे समकालीन पण्डितों में ही नहीं, वरन् कई वर्ष पूर्व के पण्डितों ने भी अद्वितीय थे। अलंकार-शास्त्र के ऊपर 'कुवलयानन्द' उनका सर्वोत्तम.........
Details of Book :-
Particulars | Details (Size, Writer, Dialect, Pages) |
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Name of Book: | शिवानन्द आत्मकथा | Shivanand Aatmkatha |
Author: | Sri Swami Sivananda |
Total pages: | 116 |
Language: | हिंदी | Hindi |
Size: | 2.2 ~ MB |
Download Status: | Available |

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