Free Hindi Book Shayar Aur Unki Shayri In Pdf Download
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पुस्तक का संक्षिप्त विवरण:
ज़नाब बशीर बद्र साहब को सौ फ़ीसदी ग़ज़ल का शायर माना जाता है। उन्होंने खुद भी ज लिखा है कि "मैं ग़ज़ल का आदमी हूँ। ग़ज़ल से मेरा जनम जनम का साथ है। ग़ज़ल का फ़न मेरा फ़न है। मेरा तजुर्बा ग़ज़ल का तजुर्बा है। मैं कौन हूँ? मेरी तारीख़ हिन्दुस्तान की तारीख़ के आसपास है।"
उनके इस इक़बालिया बयान पर मैं कुछ आगे कहूँ, एक वाक़या बयान कर देना चाहता हूँ। हिन्दी के मशहूर अफ़सानानिगार हैं कमलेश्वर साहब। खुद बहुत बड़े सम्पादक रह चुके हैं, मीडिया की मानी हुई हस्ती हैं। उनसे एक इन्टरव्यू के दौरान किसी ने पूछ लिया कि हुजूर, आपकी बातचीत हमें इतना पीछे ले जाने को विवश करती है कि मन होता है, आपसे पूछें कि आपकी उम्र क्या है?
कमलेश्वर जी ने छूटते ही कहा: 'मेरी उम्र है पाँच हज़ार पचपन साल।' सवाल पूछने वाला चकरा गयाः सो कैसे?
"वह ऐसे कि पाँच हज़ार साल की मेरी सभ्यता और पचपन साल का उसमें मेरा ज़ाती तजुर्बा जुड़ गया, और इस तरह मेरी सच्ची उम्र हो गई पाँच हज़ार पचपन साल।" उन्होंने कहा।
बशीर बद्र अपने आपको उसी तरह ग़ज़ल की लम्बी परम्परा से जोड़कर चलने में यक़ीन करते हैं। इस ऐतबार से वे अपने आपको आर्य, द्रविड़, अरबी, ईरानी और मंगोली रवायतों का नुमाइन्दा मानते हैं।
... और आज वे जहाँ अपने को देखते हैं वहाँ अदब, कल्चर और तहज़ीब को पूरब और पश्चिम में भले बँटा हुआ देखा जाता है लेकिन उनके हिसाब से वे एक दूसरे से अलग नहीं हैं। उनमें यक्सानियत है। उनकी ग़ज़लों का जब समग्र संकलन छपा तो उसका नाम उन्होंने रखा 'कल्चर यक्सां'। उनके लिए "आज की दुनिया इंसानियत का एक तनावर दरख़्त है, जिसमें हज़ारों छोटी-बड़ी शाखें हैं। हर शाख़ गोया एक मुल्क है। मेरा वतन भी उस तनावर दरख़्त (दुनिया) की एक सरसब्ज़ और दिलकशतरीन झूमती शाख़ है जो मुझे अज़ीज़तर है। लेकिन मुझे और शाखों और पत्ते पत्ते से मुहब्बत है। ... और जो मेरे वतन और मेरी दुनिया का दुश्मन है, वह मेरा और इंसानियत का दुश्मन है।" (मैं, मेरा फ़न, मेरा तजर्बाः बशीर बद्र 1962)
इस हिसाब से वे इन्सानियत के लम्बे सफ़र में ग़ज़ल के साथ सारे जहान की खूबसूरती, सारी दुनिया के सुख और दुख और सोच की बुलन्दियाँ पिरोई हुई देखने के आदी हैं।
Details of Book :-
Particulars | Details (Size, Writer, Dialect, Pages) |
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Name of Book: | शायर और उनकी शायरी | Shayar Aur Unki Shayri |
Author: | Bashir Badra |
Total pages: | 164 |
Language: | हिंदी | Hindi |
Size: | 1.1 ~ MB |
Download Status: | Available |

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