Free Hindi Book Jivan Ek Anbujh Paheli In Pdf Download
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पुस्तक का संक्षिप्त विवरण:
हम सभी के जीवन में कभी न कभी ऐसे पल अवश्य आते हैं, जब हम यह सोचने को विवश हो जाते हैं कि हम कौन है और इस दुनिया में क्यों उत्पन्न हुए, क्या जन्म से पहले भी हमारा अस्तित्व था, क्या मृत्यु के पश्चात हम कहीं और चले जायेंगे अथवा हमारा अस्तित्व समाप्त हो जाएगा, क्या इस सृष्टि को ईश्वर ने बनाया, यदि हाँ, तो उसे किसने बनाया और यदि नहीं, तो फिर ब्रह्मांड नामक इस अनंत एवं अति जटिल संरचना की उत्पत्ति कैसे हुयी और इसका प्रबंध कौन कर रहा है, क्या हमारे क्रिया-कलापों पर किसी की दृष्टि रहती है, जो उसी के अनुसार हमें फल देने की व्यवस्था करता है या यहाँ सब-कुछ 'Free for All' है, अर्थात हम जो चाहे सो कर सकते हैं, कोई हमारा कुछ नहीं बिगाड़ सकता, आदि ?
परन्तु ये कुछ गंभीर प्रश्न, जो हर व्यक्ति न जाने कब से स्वयं से और दूसरों से भी लगातार पूछ रहा है, आज तक यह अनुत्तरित हैं और 'जीवन' नामक ये 'अनबूझ फोली', वैसी ही अनसुलझी! विडम्बना देखिये कि जो विषय हमारे अस्तित्व से जुड़ा है, उसी के बारे में हम कुछ नहीं जानते और बहुत सोचने पर भी जब किसी परिणाम तक नहीं पहुँच पाते, तो विवश होकर इन विचारों को झटक कर दूर फेंक देना पड़ता है।
वैसे तो यह विषय दार्शनिकों के कार्यक्षेत्र में आता है, परन्तु चूंकि ये विचार कभी न कभी सभी के मन में उठते हैं, अतः इनके विषय में जानने की जिज्ञासा भी सबके मन में ही रहती है और हर कोई अपने-अपने ढंग से इनके उत्तर ढूंढने का प्रयास करता रहता है।
इसी क्रम में, जब इन प्रश्नों से मेरा सामना हुआ, तो न केवल अपने, बल्कि बहुत से लोगों के नजरिये से इनका उत्तर खोजने का प्रयास किया। इससे जो निष्कर्ष निकल कर सामने आये, उन्हें इस पुस्तक में अपनी एक प्रतीकात्मक रेल-यात्रा के माध्यम से प्रस्तुत किया गया है।
इसके अतिरिक्त इस विषय से जुड़े कुछ अन्य आध्यात्मिक, दार्शनिक, नैतिक तथा मानवीय बिन्दुओं पर भी लेखक ने अपनी सोच प्रबुद्ध पाठकों के सम्मुख रखने का प्रयास किया है, जैसे कर्मफल और भाग्य का सिद्धांत, धन की प्राप्ति के लिए किये गए कर्मों का उसे उपभोग करने वाले व्यक्ति पर प्रभाव, सृष्टि की सम्पूर्ण गतिविधियों को संचालित करता काल-चक्र, जीवन-यात्रा को सफल बनाने, मृत्यु के भय से छुटकारा पाने तथा मोह के प्रतिकार हेतु कुछ सुझाव, 'सर्वे भवन्तु सुखिनः' के रूप में भारतीय जीवन-दर्शन में समाहित सबके कल्याण की कामना, आधुनिक विज्ञान तथा प्राचीन भारतीय दर्शन का पारस्परिक सम्बन्ध, आदि।
Details of Book :-
Particulars | Details (Size, Writer, Dialect, Pages) |
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Name of Book: | जीवन एक अनबूझ पहेली | Jivan Ek Anbujh Paheli |
Author: | Niraj Gupta |
Total pages: | 117 |
Language: | हिंदी | Hindi |
Size: | 2 ~ MB |
Download Status: | Available |

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