Free Hindi Book Kuwari Haveli In Pdf Download
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पुस्तक का संक्षिप्त विवरण:
"कुंवारी हवेली" (Kuwari Haveli) पति के मौत के बाद दामिनी को पिछले दस साल किसी मर्द ने स्पर्श नही किया, हवेली में रहनेवाली हर नज़रे दामिनी की जवान शरीर को घूरती, हर हाथ दामिनी के बदन को मसलना चाहते, हर होंठ दामिनी के कौमार्य को पीना चाहते, हवेली में रहनेवाला हर मर्द दामिनी को अपने शरीर से रौंदना चाहता पर हवेली की बहु को छूने की हिम्मत किसी में ना थी।
शायद दामिनी भी शरीर सुख पाना चाहती थी, वे भी किसी मर्द के निचे रौंदा जाना चाहती थी शायद दामिनी भी चाहती थी की कोई उसके कौमार्य को अपने होंठो से लगाये, अपने बदन को मसला जाना शायद उसे भी पसंद आता और क्यों न आता पिछले दस सालो से वो शरीर सुख के लिए तरस गयी है, शादी के महज कुछ महीनों बाद ही तो उसका पति उसे छोड़ गया था। वो बिचारी तो उसे ठीक से देख भी न सकी थी और भगवान ने उसका वो सुख छिन लिया जो उसे देने की चाह तो हर कोई रखता लेकिन देने की हिम्मत कीसीमे न थी।
यह कहानी है एक ऐसी अबला स्त्री की जिसके कदमों में संसार की सारी भोग वस्तुओं का ढेर है लेकिन उसे कोई भी वस्तु रिझाती नही। यह कहानी है ऐसी कुँवारी स्त्री की जो मर्दों से घिरी है पर उसे यौन सुख देने की हिम्मत कोई न करता और यह कहानी है एक ऐसी बहु की जो अपने अंदर की औरत को मारे गुजार रही अपनी पूरी जिंदगी।
वो हवेली आज भी वैसे ही सुनसान थी जैसे की वो पिच्छले 10 साल से थी। आसमान में चाँद पुर नूर पे था और हर तरफ चाँदनी फैली हुई थी। उसके बावजूद हवेली के गलियारे अंधेरे में डूबे हुए थे। दूर से कोई देखे तो इस बात का अंदाज़ा तक नही हो सकता था के इसमें कोई ज़िंदा इंसान भी रहता है। आँगन में सूखी घास, बबूल की ख़त्मियाँ, खुला हुआ बड़ा दरवाज़ा, डाल पे बोलता हुआ उल्लू, हर तरफ मनहूसियत पुर जोश पर ही।
पूरी हवेली में 25 कमरे में जिसमें से 23 अंधेरे में डूबे हुए। सिर्फ 2 कमरो में हल्की सी रोशनी थी। एक कमरा था ठाकुर इंद्रदेव सिंग का और दूसरा उनकी बहू दामिनी का। हवेली में फेले हुए सन्नाटे की एक वजह 2 दिन पहले हुई मौत भी थी। मौत हवेली की मालकिन और ठाकुर इंद्रदेव सिंग की बीवी शकुंतला देवी की जो एक लंबी बीमारी के बाद चल बसी थी। उस रात हवेली में मौत का ख़ौफ्फ हर तरफ देखा जा सकता था। मरने से पहले बीमारी में दर्द की वजह से उठी शकुंतला देवी की चीखें जैसी आज भी हर तरफ गूँज रही थी।
Details of Book :-
Particulars | Details (Size, Writer, Dialect, Pages) |
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Name of Book: | कुंवारी हवेली | Kuwari Haveli |
Author: | Priyanshi Jain |
Total pages: | 311 |
Language: | हिंदी | Hindi |
Size: | 2.8 ~ MB |
Download Status: | Available |
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