Free Hindi Book Bharat Vikhandan In Pdf Download
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पुस्तक का संक्षिप्त विवरण:
महाशक्ति या विखण्डित युद्ध क्षेत्र ?
सभ्यता हमें एक साझी पहचान देती है, जो जन समुदाय के रूप में हमारी छवि, इतिहास के एक समेकित दृष्टिकोण, और एक साझी नियति को मिलाकर बनती है। यह एक निश्चित समझ देती है कि 'हम' कौन हैं, और हमारे बीच एक गहरा मानसिक सम्बन्ध सुनिश्चित करने के साथ यह भाव भी उपजाती है कि यह देश रक्षा करने योग्य है। बिना इस गहरे सम्बन्ध के ऐसे प्रश्न उपस्थित ही नहीं होते कि कौन है यह 'हम' जिसकी रक्षा की जानी है, और बलिदान किसलिए करने हैं? किसी सभ्यता को विखण्डित करना व्यक्ति के मेरुदण्ड को तोड़ने के समान है। एक विखण्डित सभ्यता बिखर कर टुकड़े-टुकड़े हो सकती है, और जिन क्षेत्रों को विखण्डित किया गया है वे अन्धकार-भरे रूपान्तरण के माध्यम से दुष्ट राज्यों में बदल सकते हैं-एक सम्पूर्ण क्षेत्र को विराट हिंसा और उपद्रव से ग्रस्त विनाशकारी स्थितियों में डालते हुए।
क्या भारतीय सभ्यता का मेरुदण्ड ऐसे ही विखण्डन का शिकार हो सकता है? और वे कौन-सी शक्तियाँ हैं, अगर हैं, जो ऐसा करने का प्रयास कर रही हैं? वे बाहरी हैं या आन्तरिक, या दोनों? उनका स्रोत कहाँ है? वे कैसे विकसित होती हैं? उनका प्रबन्धन कैसे होता है? यह पुस्तक ऐसे ही प्रश्नों पर विचार करती है, विशेषकर द्रविड़ और दलित पहचान के सन्दर्भ में, और इनका लाभ उठाने में लगे पश्चिम के देशों की भूमिका के बारे में।
भारत की केन्द्राभिसारी शक्तियाँ आर्थिक वृद्धि, कॉरपोरेट और ढाँचागत विकास और उन्नत राष्ट्रीय लोकतान्त्रिक शासन व्यवस्था- राष्ट्र को एकजुट करती हैं। इन सकारात्मक शक्तियों पर बहुत कुछ लिखा जा रहा है। अपकेन्द्रीय यानी बिखराव पैदा करने वाली शक्तियों पर कम ही विचार किया जाता है और कभी-कभार ही इनका अध्ययन होता है, आन्तरिक और बाहरी दोनों मामलों में। आन्तरिक शक्तियों में साम्प्रदायिकता और विभिन्न प्रकार की सामाजिक-आर्थिक विषमताएँ शामिल हैं। बाहरी शक्तियाँ जो भारतीयों में विभाजन पैदा करती हैं, अधिक जटिल हैं, और वे भारत की आन्तरिक दरारों से जुड़ गयी हैं। इससे पता चलता है कि किस तरह विभिन्न वैश्विक गठजोड़ अपनी-अपनी कार्यसूचियों के साथ अब इन आन्तरिक शक्तियों को अभूतपूर्व मात्रा में नियन्त्रित कर रहे हैं। फिर भी यह पुस्तक किसी महाविनाश के परिदृश्य के आ धमकने का शोर नहीं मचा रही, बल्कि इस समय राष्ट्र जिस विपत्ति का सामना कर रहा है, उसका एक मौलिक विश्लेषण प्रस्तुत करती है।
Details of Book :-
Particulars | Details (Size, Writer, Dialect, Pages) |
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Name of Book: | भारत विखंडन | Bharat Vikhandan |
Author: | Rajiv Malhotra |
Total pages: | 577 |
Language: | हिंदी | Hindi |
Size: | 7 ~ MB |
Download Status: | Available |
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