मानसिक संतुलन | MANSIK SANTULAN HINDI BOOK PDF DOWNLOAD

Mansik Santulan In Pdf Download

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पुस्तक का संक्षिप्त विवरण:

मानसिक संतुलन गायत्री मंत्र का नौवाँ अक्षर "भ" हमको प्रत्येक स्थिति में मानसिक भावों को संतुलित रखने की शिक्षा देता है- भ-भवोद्विग्नमना नैव हदुद्वेगं परित्यज । कुरु सर्वास्ववस्थासु शांतं संतुलित मन: । अर्थात-"मानसिक उत्तेजनाओं को छोड़ दो । सभी अवस्थाओं में मन को शांत और संतुलित रखो ।" शरीर में उष्णता की मात्रा अधिक बढ़ जाना "ज्वर" कहलाता है और वह ज्वर अनेक दुष्परिणामों को उत्पन्न करता है । वैसे ही मानसिक ज्वर होने से उद्वेग, आवेश, उत्तेजना, मदहोशी, आतुरता आदि लक्षण प्रकट होते हैं । आवेश की प्रबलता मनुष्य के ज्ञान, विचार, विवेक को नष्ट कर डालती है ।

उस समय वह न सोचने लायक बातें सोचता है और जो कार्य पहले कुत्सित जान पड़ते थे, उन्हीं को करने लगता है । ऐसी स्थिति मानव जीवन के लिए सर्वथा अवांछनीय है । विपत्ति पड़ने पर अथवा किसी प्रकार का लड़ाई-झगड़ा हो जाने पर लोग चिंता, शोक, निराशा, भय, घबराहट, क्रोध आदि के वशीभूत होकर मानसिक शांति को खो बैठते हैं । इसी प्रकार कोई बड़ी सफलता मिल जाने पर या संपत्ति प्राप्त होने पर मद, मत्सर, अति हर्ष, अति भोग आदि दोषों में फँस जाते हैं । इस तरह कोई भी उत्तेजना मनुष्य की आंतरिक स्थिति को विक्षिप्तों की सी कर देती है । इसके फल से मनुष्य को तरह-तरह के अनिष्ट परिणाम भोगने पड़ते हैं । जिन लोगों की प्रवृत्ति ऐसी उत्तेजित होने वाली अथवा शीघ्र ही आवेश में आ जाने वाली होती है, वे प्राय: मानसिक निर्बलता के शिकार होते हैं । वे अपने मन को एकाग्र करके किसी एक काम में नहीं लगा सकते और इसलिए कोई बड़ी सफलता पाना भी उनके लिए असंभव हो जाता है । उनके अधिकांश विचार क्षणिक सिद्ध होते हैं । इस प्रकार मानसिक असंतुलन मनुष्य की उन्नति में बाधा स्वरूप बनकर उसे पतन की ओर प्रेरित करने का कारण बन जाता है ।

Details of Book :-

Particulars

Details (Size, Writer, Dialect, Pages)

Name of Book:मानसिक संतुलन | Mansik Santulan
Author:Pt. Sriram Sharma Acharya
Total pages:32
Language: हिंदी | Hindi
Size:1.9 ~ MB
Download Status:Available


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