Free Hindi Book Brahmacharya Brat Ka Palan Aur Kaam Bikar Per Vijay In Pdf Download
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पुस्तक का संक्षिप्त विवरण:
ब्रह्मचर्य का आध्यात्मिक, वैज्ञानिक, मनोवैज्ञानिक और सामाजिक दृष्टि से महत्त्व
आज चारों ओर दृष्टि डालने से ऐसा मालूम होता है कि लोग ब्रह्मचर्य के महत्त्व को पूर्ण एवं यथार्थ रीति से नहीं समझते। आज धार्मिक स्थानों पर भी, प्रवचनों में, लोभ न करने, मोह-ममता को छोड़ने तथा अभिमान का त्याग करने की बात तो कही जाती है परन्तु वहाँ भी ब्रह्मचर्य की या तो चर्चा ही नहीं होती और या अगर होती है तो उसे उतना गौण स्थान दिया जाता है कि मालूम होता है कि या तो यह केवल संन्यासियों के लिए ही एक नियम रह गया है और या अब उसकी गणना पाँच विकारों में नहीं होती। परन्तु हमारा ऐसा मन्तव्य है कि हमारी आज की सभी नैतिक, आर्थिक और सामाजिक समस्याओं का भी एक मुख्य कारण काम विकार है और आध्यात्मिक क्षेत्र में भी पुरुषार्थियों की उन्नति न होने का एक कारण यह है कि वे ब्रह्मचर्य का ज्ञान-युक्त रीति से पालन नहीं करते। वे परमात्मा की महिमा करते हुए उसे 'पतित-पावन' तो कहते हैं परन्तु वे पतनकारी काम विकार को छोड़ कर ब्रह्मचर्य व्रत के पालन द्वारा पावन बनने का सबल यत्न नहीं करते। वे काम, क्रोध और लोभ को 'नरक का द्वार' मानते हैं परन्तु नरक के द्वार से मुख मोड़ कर ब्रह्मचर्य मार्ग से स्वर्ग के द्वार में प्रवेश करने के पुरुषार्थ से पीछे हट जाते हैं।
सम्भवतः इस सब का कारण यह है कि वे काम विकार द्वारा होने वाली अतुल हानि को और ब्रह्मचर्य द्वारा होने वाले अपार लाभ को स्पष्ट एवं सुनिश्चित रीति से नहीं जानते। उन्हें यह मालूम ही नहीं कि 'काम' उनके सारे खज़ाने लूट रहा है, न उन्हें यह पता है कि अब इस जन्म के शेष थोड़े-से वर्षों के लिए भी ब्रह्मचर्य व्रत का पालन करने से उन्हें हथेली पर स्वर्ग का स्वराज्य मिल सकता है; नहीं, नहीं, ईश्वरीय आनन्द की चाबी उनके हाथ लग सकती है और प्रभु, जिस से वे प्यार करते हैं, के वे प्रेम-पात्र बन कर जीवन को धन्य कर सकते हैं।
वैज्ञानिक, मनोवैज्ञानिक, ऐतिहासिक, आर्थिक, सामाजिक और नैतिक पहलुओं से ब्रह्मचर्य पर विचार इस प्रकार, काम विकार द्वारा होने वाली हानि और ब्रह्मचर्य व्रत द्वारा होने वाले लाभ को स्पष्ट करने के लिए ही यह पुस्तक लिखी गई है। इसमें हमने आध्यात्मिक एवं नैतिक दृष्टिकोण के अतिरिक्त आज की परिस्थिति में सामाजिक एवं आर्थिक दृष्टिकोण से भी ब्रह्मचर्य के महत्त्व को दर्शाया है और शरीर विज्ञान, आयुर्विज्ञान अथवा चिकित्सा विज्ञान के मन्तव्य भी पाठकों के लाभार्थ प्रस्तुत किये हैं।
Details of Book :-
Particulars | Details (Size, Writer, Dialect, Pages) |
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Name of Book: | ब्रह्मचर्य व्रत का पालन और काम विकार पर विजय | Brahmacharya Brat Ka Palan Aur Kaam Bikar Per Vijay |
Author: | Prajapita Brahma Kumaris Ishwariya Vishwa Vidyalaya |
Total pages: | 283 |
Language: | हिंदी | Hindi |
Size: | 34 ~ MB |
Download Status: | Available |

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