Free Hindi Book Antaryatra In Pdf Download
All New hindi book pdf free download, अंतर्यात्रा | Antaryatra download pdf in hindi | Osho Rajneesh Books PDF| अंतर्यात्रा, Antaryatra Book PDF Download Summary & Review.
पुस्तक का संक्षिप्त विवरण:
हृदय भी सर्वाधिक महत्वपूर्ण नहीं है और मस्तिष्क भी सर्वाधिक महत्वपूर्ण नहीं है। पुरुषों ने सारा बल मस्तिष्क पर दिया है और स्त्रियों ने सारा बल हृदय पर दिया है। और दोनों से मिला हुआ समाज रोज नष्ट होता चला गया है।
1: साधना की पहली सीढ़ी: शरीर
2: मस्तिष्क से हृदय, हृदय से नाभि की ओर
3: नाभि-यात्रा: सम्यक आहार-श्रम-निद्रा
4: मन-साक्षात्कार के सूत्र
5: ज्ञान के भ्रम से छुटकारा
6: विश्वास-मात्र से छुटकारा
7: हृदय-वीणा के सूत्र
8: ‘मैं’ से मुक्ति
साधक के लिए पहली सीढ़ी क्या है? विचारक के लिए सीढ़ियां अलग होती हैं, प्रेमी के लिए सीढ़ियां अलग होती हैं। साधक के लिए अलग ही यात्रा करनी होती है। साधक के लिए पहली सीढ़ी क्या है? साधक के लिए पहली सीढ़ी शरीर है। लेकिन शरीर के संबंध में न तो कोई ध्यान है, न शरीर के संबंध में कोई विचार है। और थोड़े समय से नहीं, हजारों वर्षों से शरीर उपेक्षित है। यह उपेक्षा दो प्रकार की है। एक तो उन लोगों ने शरीर की उपेक्षा की है, जिन्हें हम भोगी कहते हैं--जो जीवन में खाने-पीने और कपड़े पहनने के अतिरिक्त और किसी अनुभव को नहीं जानते। उन्होंने शरीर की उपेक्षा की है, शरीर का अपव्यय, शरीर को व्यर्थ खोया है, शरीर की वीणा को खराब किया है। और वीणा खराब हो जाए तो उससे संगीत पैदा नहीं हो सकता। यद्यपि संगीत वीणा से बिलकुल भिन्न बात है। संगीत बात ही और है, वीणा बात ही और है। लेकिन वीणा के बिना संगीत पैदा नहीं हो सकता। जिन लोगों ने शरीर को उपभोग की दिशा में व्यर्थ किया है, वे एक तरह के लोग हैं। और दूसरी तरह के लोग हैं, जिन्होंने योग की और त्याग की दिशा में भी शरीर के साथ अनाचार किया है।
शरीर को कष्ट भी दिया है, शरीर का दमन भी किया है, शरीर के साथ शत्रुता भी की है। न तो शरीर को भोगने वालों ने शरीर की अर्थवत्ता को समझा है और न शरीर को कष्ट देने वाले तपस्वियों ने शरीर की अर्थवत्ता को समझा है। शरीर की वीणा पर दो तरह के अनाचार और अत्याचार हुए हैं--एक भोगी की तरफ से, दूसरा योगी की तरफ से। और इन दोनों ने ही शरीर को नुकसान पहुंचाया है। पश्चिम में एक तरह से शरीर को नुकसान पहुंचाया गया है, पूरब में दूसरी तरह से। लेकिन नुकसान पहुंचाने में हम सब एक साथ सहभागी हैं। वेश्यागृहों में जाने वाले लोग और मधुशालाओं में जाने वाले लोग भी शरीर को एक तरह का नुकसान पहुंचाते हैं। धूप में नग्न खड़े रहने वाले लोग और जंगल की तरफ भागने वाले लोग भी शरीर को दूसरी तरह से नुकसान पहुंचाते हैं। लेकिन शरीर की वीणा से ही जीवन का संगीत उत्पन्न हो सकता है। यद्यपि जीवन का संगीत शरीर से बिलकुल अलग बात है; बिलकुल भिन्न और दूसरी बात है, लेकिन शरीर की वीणा के अतिरिक्त उसकी कोई उपलब्धि संभव नहीं है। इस तरफ अब तक कोई ध्यान ठीक से नहीं दिया गया है। —ओशो
Details of Book :-
Particulars | Details (Size, Writer, Dialect, Pages) |
---|---|
Name of Book: | अंतर्यात्रा | Antaryatra |
Author: | Osho Rajneesh |
Total pages: | 163 |
Language: | हिंदी | Hindi |
Size: | 1.8 ~ MB |
Download Status: | Available |
Hindi Comic Book PDF Free Download

हमारी वेबसाइट से जुड़ें | ||
---|---|---|
Whatspp चैनल | Follow Us | |
Follow Us | ||
Follow Us | ||
Telegram | Join Our Channel | |
Follow Us | ||
YouTube चैनल | Subscribe Us |
About Hindibook.in
Hindibook.In Is A Book Website Where You Can Download All Hindi Books In PDF Format.
Note : The above text is machine-typed and may contain errors, so it should not be considered part of the book. If you notice any errors, or have suggestions or complaints about this book, please inform us.
Keywords: Antaryatra Hindi Book Pdf, Hindi Book Antaryatra Pdf Download, Hindi Book Free Antaryatra, Antaryatra Hindi Book by Osho Rajneesh Pdf, Antaryatra Hindi Book Pdf Free Download, Antaryatra Hindi E-book Pdf, Antaryatra Hindi Ebook Pdf Free, Antaryatra Hindi Books Pdf Free Download.